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हकीकत-ए-जहाँ

निर्मल कुमार पीरिया
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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शिकवा उन्हें हैं कि, अब सजते नही बाजार,
अब दौरे-ए-उम्र में, वो कशिश कहा से लाये…

आती थी महक जिस, दरगाह से अबतल्क,
क्यु न चादर-ए-गुल पर, लोबान चढ़ा आये…

वक्त ही सिखाता है, फ़लसफ़ा ज़िन्दगी का,
भरा है हाथ लकीरों से, कभी काम ना आये…

माना कि हूँ इंसा, ओर गलतियाँ फ़ितरत मेरी,
कोई उस ख़ुदा को भी, जरा शीशा दिख आये…

इतनी भी बेतकल्लुफ़ी, ठीक तो नही हैं “निर्मल”,
दाम-ए-क़फ़स हैं कम, वो तिजारत ना कर आये

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परिचय :- निर्मल कुमार पीरिया
शिक्षा : बी.एस. एम्.ए
सम्प्रति : मैनेजर कमर्शियल व्हीकल लि.
निवासी : इंदौर, (म.प्र.)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं


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