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कुछ तो बदला है

अन्नपूर्णा जवाहर देवांगन
महासमुंद

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हवाओं ने आज रूख बदला है,
न जमीं बदली है न आसमान बदला है।
केवल हवाओं ने आज रूख बदला है।
बदला है मेरे गांव का चौपाल
जहां साझा होते थे तजुर्बे
आज पसरा है वहां सन्नाटा।
बदला है मेरे घर का आँगन जो
दिन भर अब गूंजते हैं किलकारियों से।
बदले हैं रस्मों रिवाज मेरे घर के
जहां बंटते हैं प्यार खाने की थालियों में।
बदली है मेरी राहें जा रहे थे जो
पूरब को छोड़ पश्चिम की अगवानी में।
बदला है वह समय जो कल तक
नहीं था पास किसी के अब हैं फुर्सत में।
बदले हैं वे रिश्ते नाते जो रहकर
पास रहते थे अपनों से दूर अब
लगाव महसूसते हैं फासलों में
बदला है बरगद का पुराना सूना पेंड़
जहाँ लगे हैं लौटने खग अपने नीड़ में
बदली है ग्रीष्म की वो बंद सरिता
जहां चल रही नाव साहिल की तलाश में
बदले हैं वो अंदाज जो करते थे बयां
होती नहीं मोहब्बत गले मिलने से ही
न धर्म बदला है न करम बदला है
बदलने वालों ने अपना ईमान बदला है।

 

परिचय :-  अन्नपूर्णा जवाहर देवांगन
जन्मतिथि : १७/८/१९७६ छुरा (गरियाबंद)
पिता : श्री गजानंद प्रसाद देवांगन
माता : श्रीमती सुशीला देवांगन
पति : श्री जवाहर देवांगन
शिक्षा : एम.ए हिंदी, बी.एड., पी.एच.डी
सम्प्रति : शोधछात्रा
निवासी : राजेन्द्र नगर, महासमुंद
प्रकाशन : आंचलिक पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
सम्मान : श्रेष्ठ सृजक सम्मान, साहित्य साधना सम्मान
अन्य : समाजसेवा, एन. जी. ओ. सदस्य


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