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रंगों से रंगी दुनिया

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)

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मैने देखी ही नहीं
रंगों से रंगी दुनिया को
मेरी आँखें ही नहीं
ख्वाबों के रंग सजाने को।

कोंन आएगा, आखों मे समाएगा
रंगों के रूप को जब दिखायेगा
रंगों पे इठलाने वालों
डगर मुझे दिखावो जरा
चल संकू मै भी अपने पग से
रोशनी मुझे दिलाओं जरा
ये हकीकत है कि, क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मैने देखी ही नहीं ………………………

याद आएगा, दिलों मे समाएगा
मन के मित को पास पायेगा
आँखों से देखने वालों
नयन मुझे दिलाओं जरा
देख संकू मै भी भेदकर
इन्द्रधनुष के तीर दिलाओं जरा
ये हकीकत है कि क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मैने देखी ही नहीं …………………………

जान जाएगा, वो दिन आएगा
आँखों से बोल के कोई समझाएगा
रंगों को खेलने वालों
रोशनी मुझे दिलावों जरा
देख संकू मै भी खुशियों को
आखों मे रोशनी दे जाओ जरा
ये हकीकत है कि क्यों दुनिया है खफा मुझसे
मैने देखी ही नहीं …………………………..

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परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच


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