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माता भूमि:पुत्रो अहं पृथिव्या:

डॉ. ओम प्रकाश चौधरी
वाराणसी, काशी

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जहाँ जाने के बाद वापस आने का मन ना करे
जितना भी घूम लो वहाँ पर कभी मन ना भरे
हरियाली, व स्वच्छ हवा भरमार रहती है जहाँ
सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है।

जहाँ पर चलती गाड़ियों की शोर नही गूंजती
जिस जगह की हवा कभी प्रदूषित नही रहती
सारे जानवरों की आवाजें सदा गूंजती है जहाँ
सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है।

जहाँ नदियों व झड़नों का पानी पिया जाता है
जहाँ जानवरों के बच्चों के साथ खेला जाता है
बिना डर के जानवर विचरण करते हैं जहाँ
सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है।

पहाड़ जहाँ सदा शोभा बढ़ाते हैं धरती की
नदियाँ जहाँ सदा शीतल करती हैं मिट्टी को
वातावरण अपने आप में संतुलित रहता है जहाँ
सच में वही तो असली प्रकृति कहलाती है।

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परिचय :- डॉ. ओम प्रकाश चौधरी
निवासी : वाराणसी, काशी
शिक्षा : एम ए; पी एच डी (मनोविज्ञान)
सम्प्रति : एसोसिएट प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग श्री अग्रसेन कन्या स्वायत्तशासी पी जी कॉलेज
लेखन व प्रकाशन : कुछ आलेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में प्रकाशित,आकाशवाणी से भी वार्ता प्रसारित।
शोध प्रबंध, भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद दिल्ली के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित। शोध पत्र का समय समय पर प्रकाशन, एवम पुस्तकों में पाठ लेखन सहित ३ पुस्तकें प्रकाशित।
पर्यावरण में विशेषकर वृक्षारोपण में रुचि।
गाँधी पीस फाउंडेशन, नेपाल से ‘पर्यावरण योद्धा सम्मान’ प्राप्त।


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