माधुरी व्यास “नवपमा”
इंदौर (म.प्र.)
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ये युध्द अनोखा युध्द हैं,
इसमे योद्धा नहीं क्रुद्ध हैं।
इसमे ना कोई रणभूमि है,
ना शत्रु सेना कहीं घूमी है।
रणबाँकुरे हुंकार न भरते हैं,
योद्धा आपस में न भिड़ते है।
गृह स्थपित जो सतत है,
वो पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं।
जो चुप बैठा वो बुद्ध हैं,
जो मौन रहे वो सिद्ध है।
ये युध्द अनोखा युध्द हैं,
इसमे ना योद्धा क्रुद्ध हैं।
ना रात्रि में युध्द विराम है,
ना दिवस में होता संग्राम है।
हृदय फिर भी कंपकपता हैं,
जब जन-रक्षक दुख पता हैं।
संवेदनशील ही महान हैं,
उसने तो पकड़ी कमान है।
ये निर्मल मन से समृद्ध हैं
जो नादान है -विशुध्द है।
ये युध्द अनोखा युद्ध है,
इसमे नही योद्धा क्रुद्ध है।
सैनिक ना कोई घायल है,
वो भी पुलिस का कायल है।
डॉक्टर देश का रक्षक है,
हर एक रोग का भक्षक है।
सेवा-त्याग से शुध्द उर-वक्ष है,
वो आज प्रभु के समकक्ष हैं।
इस युद्ध मे जो अति व्यस्त हैं
वो समर्पण पर कटिबद्ध हैं।
ये युद्ध अनोखा युद्ध है,
इसमे योद्धा नहीं क्रुद्ध हैं।
शत्रु अदृश्य है जब रण में,
कैसे ढूंढें उसे जन-जन में।
सब सावधान अब रहते है,
शत्रु के गढ़ में भी जीते है।
धूर्तता जिनका मंत्र- मूल है,
वो करते जानकर भूल हैं।
दुर्मति ,शठ और कुटिल है
वो मानवता के विरुद्ध हैं।
ये युध्द अनोखा युध्द है,
इसमे योद्धा नहीं क्रुध्द है।
योद्धा घायल ना नाम है,
उपचार योद्धा का काम है।
समर भूमि का ना धाम है,
उस पर भी महासंग्राम हैं।
कलयुग का ये प्रारम्भ है,
जग मौन या कि निशब्द है।
नियति नटी का प्रारब्ध है,
महाशक्ति भी करबद्ध है।
ये युद्ध अनोखा युध्द है,
इसमे योद्धा नहीं क्रुध्द है।
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परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड ,बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)
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