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चुप क्यों हो?

रीतु देवी “प्रज्ञा”
(दरभंगा बिहार)

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चुप क्यों हो माँ?
क्या विवशता है माँ?
करता है सदा अन्याय
इह लोक तुम्हारे साथ
कर दिया जाता कभी
बेटी भ्रूण हत्या
लगने नहीं दिया जाता
अरमानों के पंख कभी
सहती जाती व्यथा सभी
चुप क्यों हो माँ?
प्रतिकार करो शक्ति स्वरूपा
सहमी रहती तेरी गुड़िया
देख दानवों क्रूर क्रिया
तपती राह है असहनीय
अस्तित्व रहा है असुरक्षित
किया जा रहा जीवन अंत
खिलाकर जहरीली पुड़िया
क्यों चुप हो माँ?
क्या शक्ति तुम्हारी
नश्वर हो गयी है माँ?
माँ तुम्हीं हो महिषासुरमर्दिनी
तुम्हीं हो रक्तबीज संहारिणी
सकल लोक कल्याणी
संतान रक्षार्थ कर
सदा सुख दायिनी
चुप क्यों हो माँ
वेदना के सागर से
अब तो निकलो माँ
रहती असहाय गाय समान
सहती रहती सभी अपमान
बन रह गयी हो कठपुतली
हुंकार भरो माँ
खोलकर जुल्मों की पोटली
क्या तुम्हारा खुद पर
कुछ भी अधिकार नहीं
क्या तुम इज्जत की
मानव समाज में अधिकार नहीं
चुप क्यों हो माँ?
मुख अपना खोलो माँ
कुछ तो बोलो माँ…..।

परिचय :-  रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार


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