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एक भावनात्मक पत्र

डॉ. विनोद वर्मा “आज़ाद” 
देपालपुर

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प्रियवर,

आप और घर पर सब कैसे है? अपना और परिवार का ध्यान रखे। इस वैश्विक महामारी के दौर में घर मे ही रहे, सुरक्षित रहे। इस सदी में पहला ऐसा मौका आया है की घर-परिवार के बीच लम्बे अरसे तक साथ रह सके। अतः प्रतिदिन पकवान बनाएँ, नई-नई डिश, रेसिपी बनाकर, बनवाकर खाएं और प्रेम पूर्वक, आदर सम्मान के साथ खिलाएं, स्वास्थ्य रक्षकों, सफाई कामगारों, पुलिस प्रशासन आदि का सम्मान, सत्कार करें। यही हमारी आप सबकी सांस्कृतिक पहचान और पुरातन संस्कार है।
कहावत है –
१. धन तो हाथों का मेल है
२. रुपया-पैसा तो नाचने – गाने वाले भी कमा लेते है।
३. भिक्षावृत्ति भी धन दिला देती है।
क्यों कहा जाता है धन हाथों का मेल है? क्यों कहते है रुपया-पैसा तो नाचने गाने वाले भी कमा लेते है?
क्यों कहा गया है – भीख मांगकर भी धन जोड़ा जा सकता है?
जब हम स्नान करते है तब साबुन का उपयोग भी करते है। तेल लगाकर हम जब ताकत या जोर लगाकर हाथ-पैरों की खूब मालिश करते है तो हथेली में लकीरों के आकर्षण से मेल चढ़ जाता है जिसे दोनो हथेलियों को रगड़कर हम फेंकते ही है! इसका आशय है हम धन को भगवान या खुदा मानकर न चले, धन से सब कुछ नही कमाया जा सकता या प्राप्त किया जा सकता है, व्यक्ति ने वास्तव में व्यवहार कमाना चाहिए, वही अंत समय साथ जाता है, वही अन्त समय मे लोगो की भीड़ जुटाता है। हम मंदिर जाते है तो जेब या पर्स से कुछ राशि निकालकर वहां रखते है –
किस भाव से रखते है? –
१. पुजारी के जीवन यापन में काम आएगा !
२. मंदिर की व्यवस्था में काम आएगा !
३. हम भगवान को चढ़ाएंगे तो कई गुना हमे उनसे मिलेगा?
हमारे मन के उद्गार इसी प्रकार से मन – मस्तिष्क में चलते है।
जबकि “आप बिखेरोगे तोआप सोरोगे भी” बिखेरोगे ही नही तो क्या खाक ! सोरोगे ?
इसीलिए हमें संस्कारित किया जाता है – की किसी आयोजन में जाये तो सम्मान निधि, लिफाफा अवश्य लेकर जाए।
१. चाहे वह कोई मांगलिक आयोजन हो
२. किसी के यहां गमी पश्चात का कार्यक्रम यानी पगड़ी, थालोटी, कपड़े, आदि
३. किसी दुकान का शुभारंभ हो
४. किसी का सम्मान समारोह हो,
५. किसी पुस्तककार या लेखक की पुस्तक का विमोचन हो,
६. किसी की विदाई या बिदाई हो !
हम कहीं भी ऐसी जगह जाते है तो हमारा सत्कार भी होता है? कहीं चाय, नाश्ता, जल या मंदिर में चरणामृत या प्रसाद रूप में हमे कुछ मिलता है। यह हमारी परंपरा है, हमारे संस्कार है। वहीं हम नवीन दुकान के शुभारंभ में जाते है तो कुछ खरीदारी करते है, चाहे ढेर सारा सामान खरीदें या एक सामान, वह तो हम खरीदते ही है, यह उसके आमंत्रण/निमन्त्रण एवम सत्कार का सम्मान है। किसी की विदाई-बिदाई हो तो सम्मान सामग्री यथा शॉल-श्री फल, वस्तु, पात्र आदि देते है। किसी पुस्तक विमोचन में जाते है तो पुस्तकें क्रय करके लाते है एक नही ज्यादा भी, क्यों?
एक तो स्वयम पढ़ने के लिए,
परिवार के लिए,
एक अपने किसी निकटस्थ के लिए जो हमसे दूर वास करता है
१. वो मित्र भी हो सकता है,
२. ससुराल पक्ष भी हो सकता है,
३. बेटी-जमाई या दोहित-दोहिता भी हो सकते है। या
४. फिर प्रेमी या प्रेमिका भी !
नाचने गाने वाले भी रुपया-पैसा कमा लेते है। वह भी मेहनत का ही परिणाम होता है वह किसी भी रूप में हो सकता है यथा-
१. आकर्षक नृत्य द्वारा
२. मधुर गीत गाकर या उनके सिद्धांत अनुसार।
भिक्षुक-भिखारी में बहुत अंतर होता है १ – भिक्षुक सामान्यतया अपने धर्म,जाति समुदाय तथा सम्प्रदाय अनुसार तय सिद्धांतो का अनुसरण करके भिक्षावृत्ति करते है। उनमें सन्त-महात्मा, पुजारी आदि हो सकते है!
२. जबकि भिखारी के लिए तो कहीं भी, कभी भी, किसी भी प्रकार की भीख ली जाती है। उसके कोई सिद्धांत कोई नियम नही होते। तो धन कमाने का यह तीसरा प्रकार है।
इस कोरोना महामारी ने आज यह सिद्ध कर दिया है कि धन से सब कुछ नही खरीदा जा सकता ! स्वच्छता, शुद्धता, समरूपता, संस्कार, सद्भाव, स्वविवेक से नियमों का पालन करके ही हम बच सकते है। धन भी लोगों की जान नही बचा पा रहा है। क्यों ? क्योंकि वह हाथों का मेल है। वह नाचने गाने वाले या भिखारी भी कमा लेते है।
धन-वैभव नही हमारा व्यवहार हमे प्रतिष्ठा, मान-सम्मान दिलाता है। इंदौर में एक ही परिवार के दो भाई खूब दौलत होने के बावजूद कोरोना के कहर में आकर काल के गाल में समा गए। बड़नगर के वेद परिवार के भी कई सदस्य महामारी की भेंट चढ़ गए किंतु हजारों लोगों ने इन घटनाओं पर क्षोभ व्यक्त करते हुए उनके सद्कार्य और व्यवहार को याद करते हुए,श्रद्धासुमन समर्पित किये।
एक वैज्ञानिक ने वसीयत में लिखा था कि मैं मरूं तो देश का ख्यात डॉक्टर मुझे कन्धा दे, मेरी दौलत को सड़कों पर बिखेर दे, मेरे दोनो हाथ बाहर रखे ताकि आमजन को समझ मे आये की मुझे बड़े से बड़ा डॉक्टर भी बचा नही पाया, मेरी दौलत भी मुझे बचा नही पाई इसलिए यह मेरा कमाया हुआ धन कचरे के समान है। मैं खाली हाथ आया था और आज खाली हाथ ही जा रहा हूँ।
इसलिए मैं अपने देशवासियों से अपने महामानव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाथ जोड़ते हुए अपील के साथ करबद्ध निवेदन करता हूँ – “जान है तो जहां है”, धैर्य का परिचय देते हुए, लॉक डाउन का पालन करके अपने घर-परिवार के समस्त सदस्यों के अनमोल जीवन को बचायें, सुरक्षित रहे और सुरक्षित रखे। जयहिंद, जयभारत, वन्दे मातरम…..।

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परिचय :-  डॉ. विनोद वर्मा “आज़ाद” सहायक शिक्षक (शासकीय)
शिक्षा – एम.फिल.,एम.ए. (हिंदी साहित्य), एल.एल.बी., बी.टी., वैद्य विशारद पीएचडी. 
निवास – इंदौर जिला मध्यप्रदेश
स्काउट – जिला स्काउटर प्रतिनिधि, ब्लॉक सचिव व नोडल अधिकारी
अध्यक्ष – शिक्षक परिवार, मालव लोकसाहित्य सांस्कृतिक मंच म.प्र.
अन्य व्यवसाय – फोटो & वीडियोग्राफी
गतिविधियां – साहित्य, सांस्कृतिक, सामाजिक क्रीड़ा, धार्मिक एवम समस्त गतिविधियों के साथ लेखन-कहानी, फ़िल्म समीक्षा, कार्यक्रम आयोजन पर सारगर्भित लेखन, मालवी बोली पर लेखन गीत, कविता मुक्तक आदि।
अवार्ड – CCRT प्रशिक्षित, हैदराबाद (आ.प्र.)
१ – आदर्श संस्कार शाला मथुरा (उ.प्र.) द्वारा “शिक्षा रत्न अवार्ड”
२ – स्वर्ण भारत परिवार नई दिल्ली-शिक्षा मार्तंड सम्मान
३ – विद्या लक्ष्य फाउंडेशन धनौरा (सिवनी) म.प्र. से राष्ट्रीय शिक्षक संगोष्ठी के तहत (शिक्षक सम्मान)
४ – मंथन एक नूतन प्रयास राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान-शुक्रताल,मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)
५ – राज्य शिक्षा केन्द्र के अंतर्गत श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान,पीटीएस.इंदौर
६ – भाषा गौरव सम्मान-राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना म.प्र. इकाई।
७ – विश्व शिक्षक दिवस पर सम्मान-शिक्षक सन्दर्भ समूह-नेमावर म.प्र.
८ – टीचर्स इनोवेटिव अवार्ड (राष्ट्रीय अवार्ड) ZIIEI
९ – नेशनल बिल्डर अवार्ड (हरियाणा)
१० – हिंदी साहित्य लेखन पर अम्बेडकर फेलोशिप (सम्मान) नई दिल्ली
११ – हिंदी रक्षक २०२० सम्मान (राष्ट्रीय सम्मान), इंदौर
१२ – जिला कलेक्टर इंदौर द्वारा सम्मान।
१३ – पत्रिका-समाचार पत्र टीचर्स एक्सीलेंस अवार्ड
१४ – जिला पंचायत इंदौर द्वारा सम्मान।
१५ – जिला शिक्षण एवम प्रशिक्षण संस्थान इंदौर द्वारा सम्मान।
१६ – भारत स्काउट गाइड जिला संघ द्वारा सम्मान
१७ – लॉयन्स क्लब द्वारा सम्मान
१८ – दैनिक विनय उजाला समाचार पत्र का राज्य स्तरीय सम्मान
१९ – राज्य कर्मचारी संघ, म.प्र.द्वारा सम्मानित
२० – शासकीय अधिकारी, कर्मचारी संघ द्वारा सम्मान।
२१ – रजक मशाल पत्रिका परिषद द्वारा राज्य स्तरीय सम्मान
२२ – देपालपुर प्रशासन, एसडीएम.द्वारा १५ अगस्त २०१८ को सम्मान।
२३ – मालव रत्न अवार्ड,इंदौर
२४ – दृष्टिबाधित शासकीय शिक्षक संघ द्वारा सम्मान।
२५ – श्री गौरीशंकर रामायण मंडल द्वारा सम्मान।
२६ – नगरपरिषद द्वारा सम्मान्
२७ – विवेक विद्यापीठ द्वारा सम्मान
२८ – जनपद शिक्षा केन्द्र द्वारा सम्मान।
२९ – युवा जनजागृति मंच सम्मान।


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