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परेशां धरती

राधा शर्मा
इंदौर मध्य प्रदेश

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धरती बोली इक दिन गगन से
ये प्रकोप कब मिट पायेगा
गगन से आवाज़ आई
जब सूर्य तपन बढ जाएगा
हवा में फैला रोग कीटाणु खुद से मर जाएगा
फिर रोइ धरती कुछ खोइ खोइ सी धरती
बोझ महामारी का अब सह ना सकूंगी
ए गगन अब मै कुछ कर ना सकूंगी
तेरे पास तो है चाँद सितारे
मेरी तो दुनिया ही ये मानव सारे
कुछ चिता मे जल रहे है तो कुछ दफन हो रहे है
अब तू ही बता ए गगन
करोना से बिमार मानव मेरी गोद में सो रहे है
जब कभी डगमगा जाती हूँ
तो भूकंप सा कहलाती हूँ
जब सूखा पडे आकाल
तब खुद ही बिखर जाती हूँ
भेज ए गगन ऐसी कोई दवा
शुद्ध हो जाऐ ये जहरीली हवा
फिर हो धरती पर चहल-पहल
तेरे गगन में भी हो हवाई की पहल
सूनी पडी मेरी गलियां
सूना सा सारा शहर

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परिचय :- राधा शर्मा
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश


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