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आश्चर्य

सौरभ कुमार ठाकुर
मुजफ्फरपुर, बिहार

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आज सुबह जितेश का फ़ोन आया, हिमांशु ने फ़ोन रिसीव किया बोला: हेल्लो, क्या हालचाल जितेश, कैसे हो?
जितेश बोला, क्या भाई तबियत खराब है?
“भाई जितेश तुम अब बार-बार बिमार कैसे हो जाते हो?” हिमांशु ने पूछा !
“भाई याद है मुझे आज भी वह दिन जब मै बच्चा था, और गाँव में रहता था। कोई डर नही,कोई गम नही। जो मन में आया खाया, खेला! कभी बिमार नही होता था। पर आज शहर में रहता हूँ, हर पंद्रह दिन पर बिमार हो जाता हूँ। आज भी वही खाना खाता हूँ, जो गाँव में खाता था। गाँव में कुएँ और चापाकल का पानी पीता था आज मिनिरल वॉटर पीता हूँ। फिर भी मैं बिमार हो जाता हूँ। “एक बात समझ नही आता गाँव के मुकाबले शहर में सेहत का ध्यान अच्छे से रखता हूँ, फिर भी यार हर पंद्रह-बीस दिन पर बिमार हो जाता हूँ। जितेश बोला।
“हिमांशु उसकी बातों को सुनकर आश्चर्य में पड़ा रह गया…!”
और अंत में कुछ सोचकर बोला; “हाँ यार बात तो सही है।”

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परिचय :-
नाम- सौरभ कुमार ठाकुर
पिता – राम विनोद ठाकुर
माता –
कामिनी देवी
पता – 
रतनपुरा, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार)
पेशा –
१० वीं का छात्र और बाल कवि एवं लेखक
जन्मदिन –
१७ मार्च २००५
देश के लोकप्रिय अखबारों एवं पत्रिकाओं में अभी तक लगभग ५० रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान-हिंदी साहित्य मंच द्वारा अनेकों प्रतियोगिताओं में सम्मान पत्र, सास्वत रत्न, साहित्य रत्न, स्टार हिंदी बेस्ट राइटर अवार्ड – २०१९ इत्यादी।


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