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पिंजरा

माधुरी व्यास “नवपमा”
इंदौर (म.प्र.)

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लॉकडाउन के दौरान घर की बालकनी में खड़ी मीरा आम के पेड़ पर बैठी चिड़ियां की बाते सुन रही थी। एक गौरैया पास बैठी डॉक्टर चिड़िया से बोली-“क्यो बहन आजकल इतना सन्नाटा क्यों हैं? सारे इंसान कहाँ गायब हो गए?
डॉक्टर चिड़िया बोली – “हाँ बहन सुना है कोई कोरेना वायरस आया है, पूरे विश्व मे इंसानों को मार रहा है। लोग एक दूसरे से दूर रहेंगे तो बचेंगे वरना मर जायेंगे।”
गौरैया बड़ी दुखी हुई और कुछ सोचने लगी! फिर बोली – “एक बार मैं उड़ती हुई एक घर मे चली गई थी, बहुत बड़ा और सुंदर घर था। वहाँ एक बड़े पिंजरे में तरह-तरह के पंछी थे। खूब सारा दान रखा था पर पीने के पानी के कटोरे औंधे पड़े थे। शहरों में इंसानों के खुद के लिए पानी की किल्लत है तो पंछी भी प्यासे थे। मुझे देख सारे पंछी उड़ने को फड़फड़ाने लगे। आज इंसान भी वैसा ही अनुभव कर रहे होंगे ना!”
डॉक्टर चिड़िया कुछ देर चुप रही फिर लम्बी सास लेकर बोली – “चलो हम खुशकिस्मत है जो हम कहीं भी जाकर दाना खा सकती हैं, पानी पी सकती है। यहाँ तो लोग झूठी शान बताने के लिए बेचारे पंछियों को पिंजरे में रख कर खुश होते हैं। गौरैया ने शून्य आकाश की तरफ देखकर कहा – “हाँ बहन हमारे पास ना तो पैसा है ना ही दाना-पानी है नहीं तो हम भी तरह-तरह के इंसानों को पिंजरे में रखकर मन बहलाते।”
डॉक्टर चिड़िया बोली – “खैर अब इस वायरस ने इन लोगों को एहसास तो करवा दिया होगा कि कैद होने में कितनी तकलीफ होती है।”
गौरैया भावुक होकर बोली-“चल बहन हम गाँव चलकर रहे वहाँ बहुत सारे पेड़ है, ठंडा पानी है, दाना है और वहाँ कोई कैद भी नहीं करेगा।”
दोनो चिड़ियाँ उड़ गई और मीरा सोचती रह गई…..।

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परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड ,बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)


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