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कलयुग

कु. हर्षिता राव
चंदू खेड़ी भोपाल म.प्र.

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जब जन्मे थे धरती पर हम,
ईश्वर ने यह सिखलाया था,
चोरी, बेईमानी और हिंसा,
मरते दम तक तुम मत करना,
हृदय को जो आघात करे,
ऐसा भ्रष्ट आचरण मत करना।

युगों-युगों तक भगवन अपना,
रूप बदलकर आते गए,
इस बिगड़े संसार को सुधारने,
वे ज्ञान का दीपक जला गए।

पर युग बदले,बदला जीवन,
मानव भी तो अब बदल गया,
इस कलयुग के माया दानव का,
जाल सब पर बिखर गया।

आज इस संसार में,
लूटपात निरंतर बढ़ रहा,
खुद की यह तस्वीर देखकर,
मानव फिर भी बिगड़ रहा।

भगवान भी यह देखकर,
सबके विषय में सोचकर,
आज भी परेशान है,
भ्रष्टता ही इस जगत की,
बन चुकी पहचान है।

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परिचय : कु. हर्षिता राव
पिता – श्री रमेश राव पेंटर (प्रेरणा स्त्रोत)
निवासी – चंदू खेड़ी भोपाल म.प्र.
शिक्षा – एम.ए.हिंदी साहित्य में अध्ययनरत,
राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस) की स्वयं सेविका एवं सामाजिक कार्यकर्ता।


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