अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश
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नमन सदा कुर्बानी को।
उनकी ही नहीं, उन अपनों की,
जिनने खोए कुल के चिराग,
जिनका सेंदुर लेकर वैराग,
माटी का मूल्य चुकाया है।
भारत का मान बढ़ाया है।।
माटी का मूल्य चुकाया है।
भारत का मान बढ़ाया है।।
वो शीश देख भगनी बोले,
तेरी राखी आज तरसती है;
रोती है बहुत बिलखती है।
हम तो दो दिन ही याद रखें,
वह मां; की आंखों से छिपकर
बाबुल को कुछ हिम्मत देकर।
धीमे से कहीं से सिसकती है।
गर्मी में छत तपते होंगे।
सर्दी ठिठुरन सहते होंगे।
बारिश में हर कोने कोने,
परिवार सहित रोते होंगे।
आंचल जननी का प्यारा है,
अश्रु का एक सहारा है।
ग़म हम भी उनका भूल चले,
अपने ही में मशगूल चले।
वो फिर शहीद हो जाएंगे,
हम फिर अफसोस मनाएंगे।
किसलिए किया बलिदान दिव्य?
यह कब खुद को समझाएँगे?
हम भी इस प्रण को अब जी लें,
भारत निर्माता हम ही हैं।
ना व्यर्थ शहादत थी उनकी,
निज भाग्यविधाता हम भी हैं।
हम ना अनेक हो करके एक,
करके सारे कर्तव्य नेक।
ईमान बनाकर आभूषण,
भारत भक्ति महकाएँगे।।
नमन सदा कुर्बानी को,
उनकी ही नहीं उन अपनों की।
जिनने खोए कुल के चिराग,
जिनका सेंदुर लेकर वैराग;
भारत का मान बढ़ाया है।
माटी का मूल्य चुकाया है।।
भारत का मान बढ़ाया है।
माटी का मूल्य चुकाया है।।
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परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
जन्म – २१/१०/१९८७
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है
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