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संदेश

अमिता मराठे
इंदौर (म.प्र.)

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दिन के चमकते प्रकाश में
स्वच्छ नील हँसता नभ
गंगा पर छाई रवि किरणे
अविरल बहता यह जल

तटो से सटी बंधी ये नावो से
देख आर -पार दृश्य मनोरम
स्फटिक सा गंगा जल में
चपल पवन होता स्पन्दित

हिलोरे लेता शान्त ह्रदय में
तन मन से हो अल्हादित
विहंगो की जल क्रीडा में
जानव्ही रूप मस्त मनोरम

प्रकृति के सुन्दर नीड में
मानस होता व्यथा मुक्त
उर को स्नेहासिक्त करते
जीवन नैय्या करते सुगम

इस धूप छाँव की छटा में
कलरव करते पक्षी अनेक
प्राणीमात्र को अंक में समाये
गंगा देती अनुपम संदेश

 

परिचय :- ८ अगस्त १९४७ को जन्मी इंदौर निवासी श्रीमती अमिता अनिल मराठे को लिखने का शौक है आपकी रचनाएँ कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। नई दिशा एवं जीवन मूल्यो के प्रेरक प्रसंग नाम से आपकी दो किताबे भी प्रकाशित हुई है।


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