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शौर्य गाथा

विमल राव
भोपाल म.प्र

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वीर रस

भगवा रक्त बहे इस तन में
माँ ऐसा वरदान दो।
दुष्टों का संहार कर सकुं
ऐसा तीर कमान दो।।

वीर शिवाजी सा रणकौशल
राणा सा वो भाल दो।
चेतक सा बल शौर्य मुझे दो
गुरु गोविंद सिंह: कृपाण दो

श्री रामकृष्ण जी परमहँस सा
मुझको हृदय विशाल दो।
रौद्र रुप धर सँकु युद्ध में
वह देह मुझे विक्राल दो।।

मंगल पाण्डे सा बल दो
माँ डटा रहूँ रणभूमी में।
भगत सिह: सा साहस दो माँ
हँस कर झूलुं सूली में।।

दो शक्ति आज़ाद सी मुझको
मात्र भूमी पर मिट जाऊँ।
संत विवेकानंद बनु
तन भूमि माथ लिपट जाऊँ।।

मर – कर फ़िर जनमु भारत में
माँ ऐसा वरदान दो।
दुष्टों का संहार कर सकुं
ऐसा तीर कमान दो।।

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परिचय :- विमल राव “भोपाल”
पिता – श्री प्रेमनारायण राव लेखक, एवं संगीतकार हैं इन्ही से प्रेरणा लेकर लिखना प्रारम्भ किया।
निवास – भोजपाल की नगरी (भोपाल म.प्र)
कवि, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश सचिव – अ.भा.वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान म.प्र,
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