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उदर

राम शर्मा “परिंदा”
मनावर (धार)

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मनुष्य यूं दर-बदर नहीं होता
तन संग अगर उदर नहीं होता

मछली को भी पानी ना मिलता
अगर खारा, समंदर नहीं होता

बांट देती है सबको चार-दीवारी
दीवार बिन कोई अंदर नहीं होता

गर कोई लिखता नहीं इतिहास
याद कोई, सिकन्दर नहीं होता

नशा न होता दौलत का जग में
विद्वानों का अनादर नहीं होता

छोटे-बड़े कर लेना पैर ‘परिंदा’
पैर के अनुसार चादर नहीं होता

परिचय :- राम शर्मा “परिंदा” (रामेश्वर शर्मा) पिता स्व. जगदीश शर्मा आपका मूल निवास ग्राम अछोदा पुनर्वास तहसील मनावर है। आपने एम.कॉम बी एड किया है वर्तमान में आप शिक्षक हैं आपके तीन काव्य संग्रह १- परिंदा, २- उड़ान, ३- पाठशाला प्रकाशित हो चुके हैं और विभिन्न समाचार पत्रों में आपकी रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है, दूरदर्शन पर काव्य पाठ के साथ-साथ आप मंचीय कवि सम्मेलन में संचालन भी करते हैं। आपके साहित्य चुनने का कारण – भावाभिव्यक्ति का माध्यम है अन्य अभिरुचि – अध्यात्मिक एवं ज्योतिष संबंधी शो …

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