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बाँटो विश्व प्रेम

मनोरमा जोशी
इंदौर म.प्र.

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इतना बाँटो प्यार,
प्यार मे सारा जीवन लय हो।
आज घृणा की नहीं देश
मे विश्व प्रेम की जय हो।
बिना प्यार प्यासा हर पनघट,
नयन नयन मे आज उदासी।
आंगन आंगन मे सूनापन
प्यार हुआ जब से सन्यासी।
रुठ गया सुख चैन दिलो का,
यह दुनिया शमशान हो गई।
एक प्यार की वर्षा के बिन,
सब धरती वीरान हो गई।
कटुता रहे न शेष कहीं भी
इतना तो निश्चय हो।
आज घृणा की ….
जाने क्या तूफान आ गया
आज सभी मे स्वार्थ समाया।
कुछ ऐसा ठहराव आ गया,
अपना ही हो गया पराया।
दुखियों की सेवा में तेरा,
दया भाव अक्षय हो।
विश्व प्रेम की जय हो।
मानव का कल्याण करों
यदि मानव का जन्म पाया।
मानवता का मान घटाया,
उसनें जीवन व्यर्थ गँवाया
अभी भूल मान कर बंदे,
आज हर्द्रय मे पीर जगाओं।
जितना जग पीड़ित है
उससे बढ़कर प्यार लुटाओं।
हर दिल प्यार भरा हो,
अब तो हर दिल ममता मय हो।
आज घृणा की नहीं देश में
विश्व प्रेम की जय हो…..

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परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा – स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र – सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक, मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है। कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) व एक काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है।

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