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एहसास

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा
बेगम बाग (मेरठ)

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मेरा दिल मेरी धड़कन
मेरी रूह हो तुम
मेरी कलम से निकले
शब्दों का एहसास हो तुम।

मैं चुप रहूं या बोल दूं
मेरे दिल का जज्बात हो तुम
मैं चांद बनूं, चांदनी
बनकर बिखर जाओ तुम।

मैं बादल तेरा और
मेरी बारिश हो तुम
मैं कजरा तेरा
कजरे की धार हो तुम।

एहसास इतना है तो
मैं कहता हूं तुम्हें
लगता है जैसे
आसपास ही हो तुम।

मेरी हसरत भरी
पहली मुलाकात हो तुम
जो गुनगुनाता हूं वो
प्यारा सा साज हो तुम।

हाथ बढ़ाया तेरी तरफ
अब थाम ले मेरा
मेरा प्यार मेरा ईमान
मेरा जहां हो तुम।

आ अब लौट चलूंगा
तुझे लेकर अपने घर
मेरा दिल मेरी धड़कन
मेरा एहसास हो तुम।

मेरे सीने में उमड़े
प्यार का तूफान हो तुम
आगोश में समा कर
इस तूफान को थाम दो तुम।

मेरा दिल मेरी धड़कन
मेरी रूह हो तुम
मेरी कलम से निकले
शब्दों का एहसास हो तुम।।

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परिचय :-  सुरेखा “सुनील “दत्त शर्मा
जन्मतिथि : ३१ अगस्त
जन्म स्थान : मथुरा
निवासी : बेगम बाग मेरठ
साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास
प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :-
पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला अखबार, सौराष्ट्र भारत न्यूज़ पेपर मुंबई,  कहानी संग्रह, काव्य संग्रह
सम्मान : हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान एवं काव्य भूषण सम्मान मुंबई, वरिष्ठ समाजसेवी सम्मान मेरठ, क्रांति धरा साहित्य रत्न सम्मान, पर्यावरण प्रहरी सम्मान
संप्रति : सचिव ग्रीन केयर सोसायटी, सचिव बीइंग वूमेन मेरठ मंडल


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