Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

योगनी तू

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

********************

योगनी तू हो निरंतर प्रेमयी
बढ़ती उत्कर्ष पथ पर।
है न्योछावर सर्वस्व तेरी
सहर्ष पुलकित बनकर।
आलिंगन-मिलन हेतु
बहती हैं मलयानील रुक रूक कर।
आज अभय तू निर्भय कर
जीवन की इसे गुरुतर पथ पर।
सुपत जीवन में जीवन रस लाया
आज हलाहल पूरे विशव में।
कोई नही नटवर आया
युद्ध अनाचार विद्वेष भय से।
भुचर, जलचर, नुभचर झुलस रहा
क्षणिक स्वार्थ में मानवी सभ्यता।
महमरण-प्रलय लाया।
आज प्रकंपित होता भू-है-
हरक्षण महाभीशन आया।
सुधा प्रेम बरसा हरषा तू
रजनीगंधा की मादकता।
नूतन रूप सृजन की बनकर
फिर से तू बोधिसत्व को ला।

.

परिचय :-  ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला –पूर्वी चंपारण (बिहार)
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *