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तो वसंत लहराया है

मनीषा व्यास
इंदौर म.प्र.

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फूलों की बहार हो
बसंत की छटा हो,
धरा का रंग निराला हो
धरती कोमल पंखुड़ी हो।
तो वसंत लहराया है।

कलियों की गुनगुनाहट हो,
फूल झूम-झूम कर नमन
कर रहे हो।
धरती फूलों से ढक गई हो,
तो वसंत लहराया है।

कोयल की कूक हो
अमराइयों की महक हो
पक्षियों का कलरव हो
मन रंग बिरंगी उड़ान भर
रहा हो
तो वसंत लहराया है।
तो वसंत लहराया है।

 

परिचय :-  मनीषा व्यास (लेखिका संघ)
शिक्षा :- एम. फ़िल. (हिन्दी), एम. ए. (हिंदी), विशारद (कंठ संगीत)
रुचि :- कविता, लेख, लघुकथा लेखन, पंजाबी पत्रिका सृजन का अनुवाद, रस-रहस्य, बिम्ब (शोध पत्र), मालवा के लघु कथाकारो पर शोध कार्य, कविता, ऐंकर, लेख, लघुकथा, लेखन आदि का पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान एवं विधालय पत्रिकाओं की सम्पादकीय और संशोधन कार्य 


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