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माँ कंकाली स्तुती

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

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तापा सेमरौन गढ़ में विराजत
तू माँ महामाया कंकाली-
ध्यावत तुमको निश दिन
नेपाल-भारत के वासी
सदियो से माँ पूजित-सिद्धयोगी बाबा
मंशा राम की हरछन जलती धुनी।
जय माँ कंकाली जय माँ कंकाली
दुखियो की दुख हारती माँ
तू सुख शांति की दाती।
जय माँ काली कंकाली।
ऋषि मुनि से तू पूजित
धन वैभव की दाती।
तापा सेमरौन गढ़ में विराजत
तू सुख शांति की दाती।
सत्रु मर्दन करती छन में
सेवक को हो हर्षाती।
पुत्र हीन को तू पुत्र देती हो

हरदम तू मदमाती
उच्च सिघासन पर विराजत
हरछन घंटा नद घहराती
जय माँ काली कंकाली
भक्त जन जब तुम को देखे
सारा संकट टर जाती
जय माँ काली कंकाली

बड़े बड़े साधक का माँ तू
सिद्ध साधन कर जाती
अनुभव स्वयं साधक को होती
जब तेरी किरिपा ही जाती
जय माँ काली कंकाली।
सदियो से तू माँ विराजत
औघड़ सिद्घ बाबा मंशा राम थे वासी
तेरी रजकण के प्रतिपल अनुरागी

उनकी भी समाधि है माँ जहाँ हरछन
जलती धुनि सुगंध की बाती।
मै भी माँ तेरी करता बंदन अर्चन
रखना माँ मेरी थाती।
चरण कमल तेरी पूजित करते
बीते मेरा दिन और राती।
कहत ओमप्रकाश तुमसे तू-
परम अहनद की प्रकासी
धन्य धन्य हो जाती माँ
जो तेरी चरण कमल की दाशी।

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परिचय :-  ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला –पूर्वी चंपारण (बिहार)
सम्मान – हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान


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