दुर्ग छत्तीसगढ़
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बुराई दूजे की ना करो जो मुझ में कछु अच्छाई ना होय
निंदा पर निंदा क्यों करें जो जग में आप ही नींदीत होय
देख-देख ईर्ष्या मन में धरे जो औरन की तरक्की होय
धीर धरे जो मन में आपन आप हो आप उन्नति होय
छोटे नीच लघु ना समझो जो तुमसे लघु होय
मान आदर सभी का करें चाहे वह गुरु या लघु होय
मनका मनका फेर कर दोष पराये की ना देखो कोय
शिकायत की गठरी बना तुम काहे आपन सिर पर ढोय
कहे बीना सुनो भाई लोगों जिंदगी चार दिनों की होय
तोल मोलके बोलिए दिल में पीड़ा ना किसी की होय
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परिचय :- डॉ. बीना सिंह “रागी”
निवास : दुर्ग छत्तीसगढ़
कार्य : चिकित्सा
रुचि : लेखन कथा लघु कथा गीत ग़ज़ल तात्कालिक परिस्थिति पर वार्ता चर्चा परिचर्चा लोगों से भाईचारा रखना सामाजिक कार्य में सहयोग देना वृद्धाश्रम अनाथ आश्रम में निशुल्क सेवा विकलांग जोड़ियों का विवाह कराना
उपलब्धि : विभिन्न संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मान द्वारा सम्मानित टीवी चैनल में समय-समय पर कविता पाठ का प्रसारण अखिल भारतीय मंच में प्रस्तुति कई साझा संकलन और पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
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