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बचपन

मित्रा शर्मा
महू – इंदौर

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कुछ धुंधली सी याद है बचपन की
कुछ टूटी हुई निशानियां,
कुछ अनकही कहानियां,
बेदर्द जिंदगी की यादों की लड़ियां।
वह परियों का देश
वह ख्वाबों की दुनियां
वह सात समुंद्र पार राज कुमार की दुनियां।

चंदा मामा को यह कहते सोना,
कल सोने कि छोटी सी
कटोरी गिरा देना।
वो भोर सुबह में कटोरी ढूंढ ना
ना मिलने पर उम्मीदों की चादर में तारे गिनना।

ढूंढा करती है आंखे और मन अब भी वह पल छीन,
वह मासूम सुबह और खुशनुमा दिन।

ए जिंदगी ले चल मुझे वही बचपन में
न रहे कोई कोई खौफ सफ़र में।

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परिचय : मित्रा शर्मा – महू (मूल निवासी नेपाल)


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