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दुःख के अनगिनत रूप

कुमार जितेन्द्र
बाड़मेर (राजस्थान)

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  स्वार्थ
निस्वार्थ भाव से रहे प्राणी,
सारा जग सुख ही सुख।
पनप गई स्वार्थ की भावना,
ढेर लगेंगे अनगिनत दुःख के।।

ईर्ष्या
अच्छे विचार, श्रेष्ठ कर्म,
सुख के है साथी अपने।
जाग गई ईर्ष्या मन में,
जाग उठेंगे अनगिनत दुःख।।

छल – कपट
जीवन का आधार है विश्वास,
सार्थक जीवन बनाए विश्वास।
कोशिश हुई छल-कपट की,
रोक न सकेंगे अनगिनत दुःख को।

मोह-माया
इस धरा के सभी जीवो में,
मनुष्य जीवन है सर्वश्रेष्ठ।
क्षण भर की मोह-माया से,
दिखेंगे दुःख के अनगिनत रूप।।

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परिचय :- नाम :- कुमार जितेन्द्र (कवि, लेखक, विश्लेषक, वरिष्ठ अध्यापक – गणित)
माता :- पुष्पा देवी
पिता :- माला राम
जन्म दिनांक :- ०५. ०५.१९८९
शिक्षा :-  स्नाकोतर राजनीति विज्ञान, बी. एससी. (गणित) , बी.एड (यूके सिंह देवल मेमोरियल कॉलेज भीनमाल – एम. डी. एस. यू. अजमेर)
निवास :-  सिवाना, जिला – बाड़मेर (राजस्थान)
सम्प्रति :- वरिष्ठ अध्यापक
सम्मान :- विभिन्न संस्थाओ द्वारा काव्य, आलेख लेखन में अब तक ५० सम्मान पत्रशिक्षा में शून्य निवेश से नवाचार करने पर राष्ट्रीय स्तर पर ZIIEI द्वारा “शिक्षक नवाचार राष्ट्रीय पुरस्कार” से सम्मानित
प्रकाशन :- विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं (USA से प्रकाशित साप्ताहिक समाचार पत्र – हम हिंदुस्तानी व देश, प्रदेश के अन्य समाचार पत्र, दिल्ली से प्रकाशित मासिक पत्रिका “आलोक पर्व” में महत्वपूर्ण आलेख) में संपादकीय पृष्ठ पर विश्लेषण, हिंदी रक्षक मंच इंदौर में कविताएँ प्रकाशित l


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