सुभाष बालकृष्ण सप्रे
भोपाल म.प्र.
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नये साल का आ गया नया ज़माना,
विगत साल पर, आँसू, नहीँ बहाना,
अनुभव अनेक मिले होंगे, तुम्हेँ,
जीवन मेँ उन्हेँ कभी न भूल, ज़ाना,
दिन तो आते रहते, हैँ, झन्झावातोँ के,
दिल मज़बूत कर, कभी न घबराना,
जिंदगी मेँ ज़ब आयेँ, खुशियोँ के दिन,
दोस्तोँ के संग, मस्ती मेँ खिलखिलाना,
मुफलिसी के दौर, गुजर रहे, लोगोँ संग,
कुछ अमुल्य क्षण भी, ज़रूर बिताना,
साल तो क्या आयेंगेँ और चले जायेंगेँ,
सभी लोगोँ के संग, सरलता से पेश आना
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परिचय :-
नाम :- सुभाष बालकृष्ण सप्रे
शिक्षा :- एम॰कॉम, सी.ए.आई.आई.बी, पार्ट वन
प्रकाशित कृतियां :- लघु कथायें, कहानियां, मुक्तक, कविता, व्यंग लेख, आदि हिन्दी एवं, मराठी दोनों भाषा की पत्रीकाओं में, तथा, फेस बूक के अन्य हिन्दी ग्रूप्स में प्रकाशित, दोहे, मुक्तक लोक की, तन दोहा, मन मुक्तिका (दोहा-मुक्तक संकलन) में प्रकाशित, ३ गीत॰ मुक्तक लोक व्दारा, प्रकाशित पुस्तक गीत सिंदुरी हुये (गीत सँकलन) मेँ प्रकाशित हुये हैँ.
संप्रति :- भारतीय स्टेट बैंक, से सेवा निवृत्त अधिकारी
निवासी :- भोपाल म.प्र.
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