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यादों के सहारे

संजय जैन
मुंबई

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पुरानी यादों के सहारे,
जीये जा रहा हूँ मैं।
तुझे याद है कि नहीं,
मुझे कुछ पता नही।
तेरी बेरुखी अब मुझसे,
नहीं देखी जा रही।
तुझे कुछ पता है कि में
कैसे जी रहा तेरे बिना।।

मुझे मालूम होता कि,
मोहब्बत में ये सब होगा।
तो में निश्चित ही ये दिल,
किसी से भी न लगता।
मगर मोहब्बत कोई करता,
नही सोच समझकर।
ये दिल तो अपने आप,
किसी से लग जाता है।।

मोहब्बत का दस्तूर ही,
कुछ ऐसा होता है।
किसको खुशीयाँ देता है,
तो किसको गम भी देता है।
यही तो जिंदगी का सही,
चक्र जीवन में चलता है।
किसको प्यार मिलता है,
किसको नफरते मिलती।।

मोहब्बत करने वालो का,
अलग ही अंदाज होता है।
पुरानी यादों के सहारे,
जीये जा रहा हूँ मैं।
और जामने के दर्द को
पिये जा रहा हूँ अब तक।।

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परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।


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