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हिन्दी हमारा स्वाभिमान

डॉ. अर्चना राठौर “रचना”
झाबुआ म.प्र.

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अंग्रेजी अनिवार्यता है मगर हिन्दी हमारी माता है,
अंग्रेजी विदेशी भाषा है, मगर हिन्दी मातृभाषा है।

उपयोग इसका अधिक करें, माता का सम्मान करें,
मातृ भाषा है हमारी, सदैव इस पर अभिमान करें।

भूल रहे सब कलियुगी बच्चे, हिन्दी हमारी भाषा है,
विदेशी अंग्रेजी भाषा को ही, समझें अपनी भाषा है।

चल रहा षडयंत्र ये कैसा क्या मासूम समझता है,
मात-पिता को भी क्या समझ नही कुछ आता है।

बाहरी कार्यों के लिये उपयोग की भाषा अंग्रेजी है,
मगर न बोले हिन्दी घर पर ऐसी क्या मजबूरी है।

देश कोई भाषा का अपनी करता नही अपमान है,
करता जो अपमान वो सिर्फ अपना हिन्दुस्तान है।

आजादी को प्राप्त करके, हो गये वर्ष पिचहत्तर हैं,
बुखार चढ़ा अंग्रेजियत का, मानसिक ये गुलामी है।

महत्वपूर्ण क्यों हिन्दीं है, बच्चों को हमें बताना है,
बिल्कुल मां जैसी है हिन्दी, उनकोे ये समझाना है।

करना है संकल्प आज हिन्दी का मान बढ़ाना है,
मिलकर हम सबको आज हिन्दी दिवस मनाना है।

परिचय :-
नाम – डॉ. अर्चना राठौर “रचना” (अधिवक्ता)
निवासी – झाबुआ, (म.प्र.)


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