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बौनी उड़ान

कंचन प्रभा
दरभंगा (बिहार)

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ये उड़ान अभी बौनी है
मुझे ऊपर बहुत ही जाना है ।
ये थकान अभी थोड़ी है
मुझे अन्त समय तक निभाना है।

आसमां को छूने की
तमन्ना नही है दिल मे
अनपढ़ो को आसमान से
मिलवाने ले जाना है।
ये उड़ान अभी बौनी है
मुझे ऊपर बहुत ही जाना है….

पर्वतों पर चढ़ जाऊँ
ये चाहत नही है मन मे
माँ पिता के चरणों तक ही
जा कर रुक जाना है।
ये उड़ान अभी बौनी है
मुझे ऊपर बहुत ही जाना है….

ये सोचती नही हूँ कि
भगवान मिले मुझको
हँस कर मिलूँ मै सब से
और मुझे जिन्दगी से चले जाना है।
ये उड़ान अभी बौनी है
मुझे ऊपर बहुत ही जाना है….

लिखती हूँ मैं शब्दों को
पिरोती हूँ मोतियों की तरह
ये तो बस एक झोपड़ी है
मुझे कविताओं का महल बनाना है।
ये उड़ान अभी बौनी है
मुझे ऊपर बहुत ही जाना है….

ये थकान अभी थोड़ी है
मुझे अन्त समय तक निभाना है….

.

परिचय :- कंचन प्रभा
निवासी – लहेरियासराय, दरभंगा, बिहार

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