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तूफान अंतर्मन का

रुचिता नीमा
इंदौर म.प्र.

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कभी तो वो तूफान उठेगा
मेरे अंतर्मन में,
जो बहा ले जायेगा अपने साथ
हर विरोधाभास
और बचेगा सिर्फ विश्वास

खत्म हो जाएगा हर दोहराव
और सिर्फ रह जायेगा एक ही पड़ाव
फिर ये हर राह की भटकन न होगी
सिर्फ एक राह ही मंजिल तक होगी

कभी तो वो शीतल चांदनी फैलेगी
मेरे अंदर के गगन में,
जो भर देगी मन को असीम आनन्द में
फिर न कोई उन्माद होगा
बस अनाहत का नाद होगा

अब बस इंतजार है मुझे
उस तूफान का
जो हर लहर के साथ एक उम्मीद
छोड़ जाता है
और दे जाता है इंतज़ार, इंतज़ार और इंतजार

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परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।


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