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तुझे प्यार करती हूँ

रागिनी सिंह परिहार
रीवा म.प्र.

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नतमस्तक होकर प्रणाम करती हूँ,
अब आ जाओ मनमोहन तुम्हे याद करती हूँ।
बड़ी आस लगी है तुमसे, ये आरजू है मेरी,
अब आ जाओ घनश्याम तुम्हे प्यार करती हूँ।
दिल की जो बाते मेरी सुन लोगे कनाहिया,
मैं बन जाऊँगी मीरा, तुम बन जाओ कबीरा।
अब आ जाओ मेरे कबिरा गिरधर गोपाला,
हरिदास जी आये थे, कीर्तन सुनाने,
मैं “रागिनी” तुम्हारी, तुम मोहन हमारे।
अब आ जाओ गिरधर, अब आ जाओ गोपाला।
घनानंद की सुजान मैं, सूर का भ्रमर तुम,
अब आ जाओ मीरा के गिरधर गोपाला।
नतमस्तक होकर तुमको प्रणाम करती हूँ,
अब आ जाओ मनमोहन, तुझे “रागिनी” पुकारे।
राग नहीं पास मेरे अनुराग तम्हें बुलाये,
अब आ जाओ मनमोहन हैं,आरजू तुमसे।
नतमस्तक होकर तुमको प्रणाम करती हूँ।
अब आ जाओ घनश्याम तुझे प्यार करती हूँ ….
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परिचय :- रागिनी सिंह परिहार
जन्मतिथि : १ जुलाई १९९१
पिता : रमाकंत सिंह
माता : ऊषा सिंह
पति : सचिन देव सिंह
शिक्षा : एम.ए हिन्दी साहित्य, डीएड शिक्षाशात्र, पी.जी.डी.सी.ए. कंप्यूटर, एम फील हिन्दी साहित्य, पी.एचडी अध्ययनरत


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