Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

तुझे प्यार करती हूँ

रागिनी सिंह परिहार
रीवा म.प्र.

********************

नतमस्तक होकर प्रणाम करती हूँ,
अब आ जाओ मनमोहन तुम्हे याद करती हूँ।
बड़ी आस लगी है तुमसे, ये आरजू है मेरी,
अब आ जाओ घनश्याम तुम्हे प्यार करती हूँ।
दिल की जो बाते मेरी सुन लोगे कनाहिया,
मैं बन जाऊँगी मीरा, तुम बन जाओ कबीरा।
अब आ जाओ मेरे कबिरा गिरधर गोपाला,
हरिदास जी आये थे, कीर्तन सुनाने,
मैं “रागिनी” तुम्हारी, तुम मोहन हमारे।
अब आ जाओ गिरधर, अब आ जाओ गोपाला।
घनानंद की सुजान मैं, सूर का भ्रमर तुम,
अब आ जाओ मीरा के गिरधर गोपाला।
नतमस्तक होकर तुमको प्रणाम करती हूँ,
अब आ जाओ मनमोहन, तुझे “रागिनी” पुकारे।
राग नहीं पास मेरे अनुराग तम्हें बुलाये,
अब आ जाओ मनमोहन हैं,आरजू तुमसे।
नतमस्तक होकर तुमको प्रणाम करती हूँ।
अब आ जाओ घनश्याम तुझे प्यार करती हूँ ….
.

परिचय :- रागिनी सिंह परिहार
जन्मतिथि : १ जुलाई १९९१
पिता : रमाकंत सिंह
माता : ऊषा सिंह
पति : सचिन देव सिंह
शिक्षा : एम.ए हिन्दी साहित्य, डीएड शिक्षाशात्र, पी.जी.डी.सी.ए. कंप्यूटर, एम फील हिन्दी साहित्य, पी.एचडी अध्ययनरत


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *