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अपने पराये

मिर्जा आबिद बेग
मन्दसौर मध्यप्रदेश

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अपने भी अब पराये होने लगे हैं,
जज्बात भी अब रोने लगे हैं

क्या तू भी उन्हें समझता है,
जो दूसरों को उलझाने लगे है,

उसने जो किया अपने बलबूते पर,
उसके किस्से लोग सुनाने लगे हैं,

अच्छे बुरे का जो फर्क ना समझे,
उसकी गलतियां भी गिनाने लगे है,

तरक्की, विकास के मायने समझ लो,
मंजिलें, इमारत बनाने में जमाने लगे है,

उन इज्जतदारों की इज्जत भी देख लो,
साहूकार बनके दूसरों पर उंगली उठाने लगे है,

इज्जत बड़ी शर्मिली होती है आबीद
वह क्यों मुंह छुपाने लगे हैं,

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लेखक परिचय :-
११ मई १९६५ को मंदसौर में जन्मे मिर्जा आबिद बेग के पिता स्वर्गीय मिर्जा मोहम्मद बेग एक श्रमजीवी पत्रकार थे। पिताश्री ने १५ अगस्त १९७६ से मंदसौर मध्यप्रदेश से हिंदी में मन्दसौर प्रहरी नामक समाचार पत्र प्रकाशन शुरू किया। पिता के सानिध्य में रहते हुए मिर्जा आबिद बेग ने कम उम्र में ही प्रिंटिंग प्रेस की बारीकियो को समझते हुए अखबार जगत कि बारीकियों को कम उम्र में ही समझ लिया और देखते-देखते इस क्षेत्र में निपुणता हासिल कर मात्र २१ वर्ष की आयु में २२ जून १९९६ को नई दिल्ली से प्रकाशित दैनिक जनसत्ता, इंडियन एक्सप्रेस पत्र समूह में आपका पहला लेख छपा जो फिल्मी दुनिया से संबंधित था। जिसे उस जमाने के बड़े फिल्म स्टारों ने भी पढा और समाचार पत्र जगत में काफी से सराहा गया। सन् ९० के दशक में साहित्य के क्षेत्र में कदम आगे बढ़ाते हुए रचनाएं लिखना शुरू की। उस समय अविभाजित मंदसौर जिले के कई दैनिक अखबारों में व स्थानीय अखबारों में काफी लेख व रचनाएं प्रकाशित हुई। हिंदी साहित्य की पहली रचना भावनाओं में बहते हुए यह सपने कैसे पूरे होंगे हमेशा सोचता हूं मैं… तुलना जब करता हूं अपनी बहुत पीछे रह जाता हूं मैं … ये पहली रचना काफी चर्चित रही। उसके बाद मुक्तक, गीत गजल, नज्म, मनकब्द, नात शरीफ आदि कई रचनाएं अनुव्रत रूप से लिखना जारी रखा। अभी तक करीब ३०० ऐसी रचनाएं लिख चुके हैं, इसके साथ ही आप तेरा मेरा साथ, जिंदगानीया, प्यार की जंग, बड़ा बाबू आदि शिक्षकों से टीवी सीरियलो की कहानी लिख चुके हैं। सन १९९५ पिताश्री की मृत्यु के बाद दशपुर किरण नाम से मंदसौर मध्य प्रदेश से हिंदी में साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया जो आज तक जारी है। राष्ट्रवाद एवं स्वतंत्र विचारों के पक्षधर मिर्जा आबिद बेग साहित्य के क्षेत्र में अनवरत सेवाएं दे रहे हैं। जिंदगी से रूबरू उनका एक नया काव्य संग्रह प्रकाशन अधीन है जो शीघ्र ही पाठकों के हाथों में होगा, पत्रकारिता के साथ-साथ समाज सेवा व राजनीति के क्षेत्र में भी काफी सक्रिय है। संपूर्ण विद्या प्राप्ति के प्रति वह ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं।


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