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सबक से सबक

वीणा वैष्णव
कांकरोली

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सबक हर मोड़ पर, जिंदगी से सदा पाया मैंने।
सबक से सबक, जिंदगी को जन्नत बनाया मैंने।।

सबसे ले सबसे, और राह प्रशस्त किया मैंने ।
जो मिला जिसे मिला, सबक सदा लिया मैंने।।

ठोकर लगी तो कभी, राह को बदला नहीं मैंने ।
उससे भी संभल, चलने का सबक लिया मैंने ।।

बड़े बुजुर्ग अनुभव को, हृदय गम किया मैंने।
आज जो कुछ हूँ, उसका श्रेय उन्हें दिया मैंने।।

आदर्श उन्हें ही बना, हर कदम फूंक रखा मैंने ।
जहां चालबाजों का, परख अपना बनाया मैंने।।

ना आई बहकावें में, धैर्य को धारण किया मैंने ।
बुजुर्ग सलाह से सदा, शुरु हर कार्य किया मैंने।।

आशीर्वाद सदा उनका, हर कदम लिया मैंने।
दुआओं में कितना दम, देख लिया आज सबने।।

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परिचय : कांकरोली निवासी वीणा वैष्णव वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय फरारा में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। कवितायें लिखने में आपकी गहन रूचि है।


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