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नव वर्ष

ओमप्रकाश सिंह
चंपारण (बिहार)

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नव वर्ष के शुभ अवसर पर
नव संकल्प ले जीवन पथ पर।

विगत पतझड़ को भूल जाओ
नव बसंत को याद करो।

कोयल की वह मधुर कुक
लालटेसुओ की भरमार।

नव किससय से प्रफुल्लित तन मन
आम्र मंजरीयो की जयमाल।

भूल जाओ उस विगत वर्ष को
दानवता की भयावह चित्कार।

जोर-जोर ऊंची आवाजों में
रोया जो स्वान और श्रृंगाल।

याद करो उस चटक चांदनी को
जो खिला था नभ में भरपूर।

खिल गई थी पीली सरसों
महक रही थी रजनीगंधा।

हरियाली थी भरपूर
चिपक गई थी चटक चांदनी
दूधिया रोशनी थी भरपूर।

याद करो उस विगत
जब प्रकृति की वैभव से
धरती मां रहती थी भरपूर।

कलकल निनाद से बहती थी नदियां
पक्षियों का कलरव भरपूर।

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लेखक परिचय :-  नाम – ओमप्रकाश सिंह (शिक्षक मध्य विद्यालय रूपहारा)
ग्राम – गंगापीपर
जिला –पूर्वी चंपारण (बिहार)


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