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मेरे सोये प्राण जगाये

मनोरमा जोशी
इंदौर म.प्र.

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मेरे इन अधरों ने, फिर से,
गीत प्रीत के गाये।
किसने आकर फिर से मेरे
सोये प्राण जगायें।
मुझे याद हैं सदियों पहले,
जब मैं गाता गीत था,
क्योंकि मेरे साथ जगत में
मन भावन सा मीत था।
मेरे सांसो की वीणा को,
जिसनें सदा सम्हाला,
केवल उसके कारण
स्वर में जादू सा संगीत था।
मेरे इन नयनों में फिर से,
ज्योति किरण मुस्काये,
किसने आकर फिर से मेरे
बुझते दीप जलायें।
चलते चलते बीच राह में
जब भी थक्कर हारा,
मिली प्रेरणा चलने की,
बस उसने मुझे पुकारा।
पथ में मुझको मिले फूल,
शूल अंगारे,
लेकिन उसके गीतों ने दे,
सम्बल मुझे दुलारा।
मेरे पथ में चीर तिमिर को
अब उजियारे छायें,
किसने आकर फिर से
नभ में अनगित चाँद सजाये।
किसने आकर फिर से
मेरे सोये प्राण जगायें।

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लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा – स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र – सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक, मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है। कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) व एक काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है।

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