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सपनीली दुनिया

चेतना ठाकुर
चंपारण (बिहार)

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सपनीली दुनिया,
होती है यह पल सपनों में बसर।
ख्याली पुलाव, सपनों का तड़का
बस इस उम्र में सपना ही सपना होता है।
थर्टीन से नाइनटीन सुहाने सुहाने
सपने संजोग ने के दिन होते हैं।
किसी को तलाश करती यह नजर
बस जिंदगी बड़ी प्यारी लगती है
फिर लड़कों को नमक तेल लकड़ी (गैस)
लड़कियों की चावल दाल सब्जी
जिंदगी इसी में सिमट के रह जाती हैं।
जीवन का वसंत तो जवानी है।

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लेखक परिचय :-  नाम – चेतना ठाकुर
ग्राम – गंगापीपर
जिला –पूर्वी चंपारण (बिहार)


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