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निंदाई में पनपा प्रेम

प्रिन्शु लोकेश तिवारी
रीवा (म.प्र.)

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खेतों में चल रही निदाई कि निगरानी के लिए हमें घर से दोपहर ११ के आस पास बजे खेदा गया आज एक अद्वितीय प्रेमी से भेट होगी हमने यह सोचा भी नहीं। घर से ५ सेर पानी और आधा सेर गुड़ लेकर चला और नदी पार खेतों तक पहुच कर निंदाई कर रही मजदूरनी को पानी और गुड़ थमाया फिर निंदाई से उखड़े खरपतवार उठा-उठा कर मेड़ पर रखने लगा मेघों कि कृपा विशेष रही उनके रिमझिम करने से काम में थकान नहीं हो रही ।

लगभग आधे घंटे के बाद कुछ खेतों आगे एक कृष्णवरण का जवान युवक लगभग ७-८ माह के बच्चे को सिर पर बिठाकर कुछ गीत गुनगुनाते हुए सीधे आ रहा। मैने पास निंदाई कर रही औरतों से उसके बार में पुछा तो एक अधेड़ औरत बोली मेरा लडका है और इसका पति (बगल खड़ी औरत को छू कर)।
मैं झुक कर अपने काम में बारिश कि बूदें थोड़ी तेजी से और व्यक्ति छाता लगाकर खेत तक अलौकिक प्रेम का दर्शन आरम्भ युवक बच्चे को पुचकारते हुए अपनी औरत को प्यार के बोलता है। ‘अले लल्ली कि माँ आओ बेतू को दुध्धू पिला दो’ सुनते ही युवती फट से उठी और धान के पौधों को रौदते चल पडी। ओए सभल कर चल कहकर मैं फिर अपने काम मे लग गया। युवती बच्चे को स्तन पान कराने लगी और युवक उसके गले में हाथ रख कर परदेश कि कहानी सुनाने लगा उसके बातों से लगता है वह कल रात ही बम्बई से कमा कर आया है। बच्चे को पान करा कर युवती बच्चे को पुचकारते हुए बोली ‘ओए मेला बेता मेली पुतरी मान्सी तुझे पुलिस बनाऊंगी’ यहा से एक बात और पता चली कि वह लडकी है हमें बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ सार्थक लगा।

युवती उठ कर खेत पर घुस गई और बोली जानू घर जाओ बेटू गीली न हो जाए और घर में बकरियों को कोई कुत्ता न खा ले युवक अपने पत्नी कि काली चिकनी कमर देख कर मुग्ध हो रहा था और हा बोलकर उठा फिर बैठ गया और बैठे-बैठे पत्नी कि ओर एक टक देखता रहा बातों बात में ठिठोली करने लगा दो घंटे कब बीत गए किसी को पता नहीं किन्तु युवती और उसकी सासू (अधेड़ युवती) युवक को इन दो घंटे में कई बार घर जाने को कहा पर उसके हाव भाव से लगता है वह पत्नी के प्रेम में पूर्ण रूप से लथाबोर है इसीलिए कई बार कहने पर भी वह घर नहीं जा रहा।

अचानक युवक उठा और बच्ची से बोला चलो बेटा घर और बच्ची को पहले जैसे सिर में बैठा लिया एक नजर पत्नी को देखकर चला ही था कि बच्ची ने सर पर दस्त का संकेत दिया, लगता है भगवान भी उनके इस प्रेम खुश हो रहे है।

युवक घिनाया नहीं बल्कि खुश हुआ उसे कुछ देर तक और रुकने का मौका मिला वो पत्नी को बोलता है आओ इसे शौच करा दो तो युवती बोलती है ओए! मान्सी के पापा आप ही करा दो हम काम कर रहे है यदि बार बार ऐसे आऊगी तो किसान गुस्सा होगे। बात को अनसुना करते हुए युवक युवती के हाथ से उखड़े चारे से दांत खोदने लगा शायद वो उसके हाथ से स्पर्श चारा चूम रहा था फिर युवक कि मां (अधेड़ औरत) बोलती है जा दादू उसे शौच करा दे इस बार वह उठ कर गया और बच्ची को दुलराते हुए शौचाया और बच्ची को खिलाने लगा। उनका खेलने का ढंग देखे युवक खड़ा हो जाता तो बच्ची रोने लगती और बैठता तो उसे हाथ से थपेड़ लगाती और हंसती ये खेलते हुए युवक हमें देखकर बोला देखिए महाराज बाप को ही मार कर खुश हो रही है पगली इस हरकतों को देख कर खेत में उपस्थिति पांचो लोग हंसने लगते है हंसते हंसते ही युवक युवती (युवक की भाभी) से बोला देखो भाभी मान्सी कि मम्मी कैसे हंस रही है मैं तो चार दिन में चला जाऊँगा फिर इसी को मारेगी। एक बार फिर ठहाका।

अचानक एक श्याम वरण का युवक और आता दिखाई पडा जिसके कंधे में एक मोटी लकडी थी उसे देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी कि चिता जलाने जा रहा हो किन्तु मेरा अनुभव सही रहा वह खेतों मे बसने वहा अपना ही मजदूर रहा और वह लकडी बाड़ा बना कर पशुओँ से खेत के बचाओ के लिए है जिससे पशु सिमार में न आ सके और कुछ चर न सके इस तरह लकडी पशुओँ कि चिता कि लकडी हुई। वह बाड़ा बनाने में जुट गया और पहला युवक घर अभी गया नहीं।

युवक बोला मान्सी कि मम्मी साड़ी के ऊपर शर्ट क्यूं नहीं पहनी पत्नी बोली क्या बताऊ मान्सी के पापा निकाल कर रखी थी पर घर पे ही छूट गया युवक कहता है कि यदि रात में बोलोगी कि खुजली हो रही है तो बहुत मार जाओगी नहीं तो शर्ट पहनकर आती। यह कहकर युवक कडी निगाह से युवती को देखता है और मंद मुस्कान से युवती को आकर्षित करता है। युवती उसे बार बार घर जाने को कहती है क्योंकि उसका प्यार उसके पेट पर लात मारने जैसे लग रहा था उस समय और घर में बकरियों को कोई जंगली जानवर या कुत्ता न खा ले बच्ची बारिश में भी ग कर बिमार न पड़ जाए इन सभी का डर से वह युवक को जाने को कहती है किन्तु युवक भी एक सच्चा प्रेमी लग रहा था क्योंकि आजकल सगी पत्नी से कौन अत्यधिक प्रेम करता है पर उसमें कूट कूट कर प्रेम भरा था वह वहाँ से हिलने का नाम नहीं ले रहा था।

ये सब देखते और काम करते करते शाम को चार बज गए और मेरे पिताजी खेत पर आ कर मुझे घर लिए भेज दिएं युवक निरंतर ११ बजे से चार बजे तक अपने निजी पत्नी के प्रेम में फंसा रहा।

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लेखक परिचय :-  प्रिन्शु लोकेश तिवारी
पिता – श्री कमलापति तिवारी
स्थान- रीवा (म.प्र.)

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