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सौन्दर्य प्रकृति अभिन्दन

मनोरमा जोशी
इंदौर म.प्र.

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अक्सर होता रहता है,
भावों का स्पंदन।
है आजाद विहग के खातिर,
जैसे मुक्त गगन।
ब्रह्म मूहर्त की छटा निराली,
रुचि कर रंग अरूण,
जलप्रपात के स्वर सुन,
आशाऐं हुई तरूण।
सुरभित होते है समीर,
चलने से चमन सुमन,
पुलकित अतिश्य हो
उठता हैं जिससे अंतरमन।
कोयल की सुमधुर कूक से,
अनुप्रेरित कवि जीवन,
करू रम्य प्रकृति वर्णन में
कागज कलम समर्पण।
चंदन वन हैं कविता,
जिसमें सरस बनें यह जीवन,
प्रकृति कलाओं की जननी हैं,
प्रतिपल अभिनंनदन।

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लेखिका का परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा – स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र – सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक, मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है। कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) व एक काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है।

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