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तरंगित रागिनी

अंजना झा
फरीदाबाद हरियाणा

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झंझावात में बिखरे वो सूखे पत्ते
बिछड़ कर अपनी टहनियों से
असहाय फैल जाते हैं धरा पर
इकत्रित होने के क्रम में आती है
आवाज झनझनाहट की अनवरत
फिर भी इकट्ठा कर डाल दिए जाते
उस कूड़े के ढे़र पर भस्म होने हेतु
खोकर अपना वास्तविक वो आकार
पर स्व का विनाश कर पाटते रहते
वर्षोंं से बनी हुई उस गहरी खाई को
या फिर डाले जाते उस निर्जरा पर
जहाँ मिटाकर अपना स्व अस्तित्व
सड़ और गल कर स्वार्थ हित से परे
बनाते उर्वर भूमि सर्वहित के लिए
क्योंकि पता है समय चक्र का उन्हें
इक दिन तो जड़ से अलग होना है
या तो उस असामयिक झंझावात से
या फिर उस समय पूर्ण समयावधि से
जाते हुए इक अव्यक्त झनझनाहट के
असह्य दर्द को व्यक्त करते हुए ही सही
अपने सम्पूर्णता को भस्मित करके भी
कर जाते है बस परोपकार स्वार्थ रहित
ताकि सूखे पत्तों की वो झनझनाहट भी
बने सुमधुर संगीतमय तरंगित रागिनी।

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परिचय :-  नाम : अंजना झा
माता : श्रीमती फूल झा
पिता : डाक्टर बद्री नारायण झा
जन्म तिथि : ६ अगस्त १९६९
जन्म स्थान : पटना
अंजना झा मूलतः बिहार की निवासी हैं। आपने मनोविज्ञान में एम.ए. किया है। पूर्व में आर्मी पब्लिक स्कूल में शिक्षिका रही हैं। आप कुछ समय आनलाइन पत्रिका साहित्य लाइव में संपादिका पद पर भी रह चुकी हैं। आपकी रुचि लघुकथा और काव्य लेखन में है। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच
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