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चांदनी से झरते मोती

रंजना फतेपुरकर
इंदौर (म.प्र.)

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भीगी भीगी रात की
लहराती धुँध में खोने का इरादा है
चांदनी से मोती झरें तो
अंजुरी में भरने का इरादा है
तुम अगर कह दो
रुक जाओ पल भर के लिए
सारी उमर इंतज़ार का इरादा है

आसमां से झरती नूर की
बूंदों में भीगने का इरादा है
तुम्हारी झील सी नीली आंखों में
डूबने का इरादा है
तुम अगर कह दो
मंज़िल तक साथ चलने के लिए
चाँद को जमीं पर उतारने का इरादा है

.

परिचय :-
नाम : रंजना फतेपुरकर
शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य
जन्म : २९ दिसंबर
निवास : इंदौर (म.प्र.)
प्रकाशित पुस्तकें ११
सम्मान ४५
पुरस्कार ३५
दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित
देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित
रंजन कलश, इंदौर अध्यक्ष
वामा साहित्य मंच, इंदौर उपाध्यक्ष
निवास : इंदौर (म.प्र.)


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