Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

कोमल किसलय (काव्य संग्रह) : पुस्तक समीक्षा

राजेश कुमार शर्मा “पुरोहित”
भवानीमंडी (राज.)

********************

पुस्तक समीक्षा
कृति :- कोमल किसलय (काव्य संग्रह)
लेखक :- ग्यारसीलाल सेन
प्रकाशक :- सुधाकर साहित्य समिति, झालावाड़ (राजस्थान)
मूल्य :-१२५/-
पृष्ठ :- ८९
समीक्षक :- राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित”

झालावाड़ राजस्थान के वरिष्ठ कवि एवम साहित्यकार विचारक, चिंतक ग्यारसीलाल सेन ख्यातिनाम लेखक है। आपने अपनी काव्य कृतियों से राष्ट्र में अलग ही पहचान बनाई है। नवोदित कवियों के आप प्रेरणा स्रोत हैं।
प्रस्तुत कृति कोमल किसलय काव्य संग्रह उनके पिता श्री किशनलाल जी व माता केशर देवी को समर्पित कृति है। मुखावरण बहुत सुन्दर है।
सेन के ट्रेवल पिक्चर्स, अभिव्यक्ति का आत्मदान, आदि निबन्ध संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। आपकी रचनाएँ राष्ट्र की पत्र पत्रिकाओं में नियमित छपती है।
प्रस्तुत कृति की भूमिका देश के सुप्रसिद्ध कवि बालकवि बैरागी जी ने लिखी है जिसमे सेन को सरल निश्छल व प्रांजल कवि बताया है।
इस कृति की कविताओं में लयात्मकता सजीव है कविताओं में गाथाशेली दिखाई देती है जिनमे सेन ने संत पीपाजी मीराबाई पर काव्य रचना की है।
लेखकीय में लेखके सेन लिखते है कि अलौकिक आनन्द ही काव्य की आत्मा है। सादगी पसंद सेन लिखते है कि इस कृति में निहित रचनाएँ अंतश्चेतना की अभिव्यक्ति है। इस कृति में कविता ग़ज़ल छंद व काव्यमय जीवनी का संकलन किया गया है। इस कृति में गीत ग़ज़ल कविताएं ३२ हैं। ऋतुओं सम्बन्धी ७ रचनाएँ हैं। गद्य काव्य मुक्त छंद १६ हैं। अध्यात्म धर्म आदि से सम्बंधित ९ रचनाएँ हैं।
माँ सरस्वती की वन्दना में सेन लिखते हैं “रसना में मेरी सुधा रस भर दे। हे माँ शारदे तू वर दे वर दे।।” गीत झील के किनारे पर मौजों का बसेरा है। अनमना सा मन और धुंध भरा सवेरा है।। कवि ने विभिन्न रूपकों के माध्यम से जीवन का सच उजागर किया है।
ज्योति कलश रचना में प्रकति का सजीव चित्रण साफ दिखाई देता है।
विरह को बडे सुन्दर तरीके से काव्यबद्ध किया है। झर-झर लगती सावन की झड़ियां ऐसे में साजन याद तुम्हारी आती है। पंथी तुम रुक जाओ प्रेरक रचना लगी। जुदाई के गीतों में “मन का मीत न आया” श्रेष्ठ रचना बन पड़ी। जीवन को अनुभव के साथ जिया है कवि लिखते है “बरसों पीर सही है मैंने तब जाकर गीत लिखा है। अथक प्रतीक्षा में बीता जीवन तब जाकर गीत लिखा है। ग़ज़ल् आप जो आये तो बात बन जाएगी में उम्दा शेर हैं। एक शेर देखिए “चाँद तारों में आज संवाद फिर होंगे कूल पे लहरों के स्वर मुखर होंगे।
सेन साहब की लिखी और ग़ज़लों के शेर देखिए “आंखों में उनके नमी थी न कोई अश्क मुश्किलें थी उनकी आसां हो गई होगी।”
सम्भल के चल राही कविता में व्यक्ति को फरेबी व चालाक लोगों ने दूर रहने को सावचेत किया है । कवि ने गांवों व शहरों का सजीव वर्णन किया है।
शायर सेन ने ग़ज़लों में आये अल्फ़ाज़ों के मायने भी ग़ज़ल के साथ लिखे हैं। दीद ये तर हैं दीदार क्या करें। देख ही करेंगे वो इजहार क्या करें।। दीद यानि आंखें इत्यादि।
प्रेम में पगी ग़ज़ल हो या मानवीय गुणों का खजाना,जमाने की रफ्तार या विरह की बात हो सेन की ग़ज़लों में साफ दिखाई देता है।
देशभक्ति के भाव जगाती रचनाएँ हो रही अधीर धरा देश की, कश्मीर ग़ज़ल आओ फिर से नया भारत बनायें हम, करें रक्षा देश की, आदि इस कृति के प्राण हैं।
कौमी एकता को कायम रखने की बड़ी जिम्मेदारी एक सच्चा कवि ही उठाता है। सेन लिखते है मन्दिर हो कि मस्जिद नींव इन्हीं से भरी लगती है। खामोश है गगन और धरा रोती सी लगती हैं।।
साक्षरता पर आधारित गीत से बुजुर्गों में पढ़ने की अलख जगाती रचना बहुत अच्छी लगी। मानव जीवन मे न जंग लगायें हम। अक्षर की आँच से छांया मेल हटायें हम।।
ऋतु वर्णन में ऋतुराज बसन्त का वर्णन करते सेन लिखते हैं कि “नीलम सा गगन आज फिर मुस्कराया है। सितारों जड़ा बसन्त आज फिर आया है।।”
ग्रीष्म ऋत की कविता में आंधी तूफान बवंडर चक्रवात से जन धन की हानि होती है। जल स्रोत सूख जाते हैं। दोपहरी में तन जलने लगता है। तवे सी धरती तपती है। वर्षा ऋतु में मेघ गरजते हैं तो किसानों को आस बन्ध जाती है। धरती का आंगन हो जल पूरित गरज बरस रे तू जलधर। पावस ऋतु में शीतल मन्द सुगंधी वायु चलती है। शरद ऋतु में पूर्णिमा के दिन चांद का दर्शन करने की परंपरा है।
गद्य काव्य की मुक्तछंद की काव्य रचनाएँ गिद्ध में मनुष्यों की नोच खाने की प्रवृति पर पैनी कलम चलाई है। हर युग मे सजातीय व विजातीय प्रवृतियां यानि राम और रावण होते आये हैं। इन दो प्रवृतियों में हुआ युद्ध ही वास्तविक युद्ध। युगों युगों से चालाकी व मक्कारी से सीता का हरण होता जा रहा है। खलनायक कविता में सेन ने अर्वाचीन काल मे बच्चे क्यों हिंसक बनते जा रहे है बताने का सार्थक प्रयास किया है। बच्चे टीवी में ए के ४७ को देखते है एक्टर कैसे चला रहा है बस उस पर निगाह रहती है बच्चों की खिलोने भी ऐसे ही पसंद आते है उन्हें। मनोरंजन हो परन्तु स्वस्थ मनोरंजन हो जो बालकों में सद्गुण पैदा कर सके।
वह कदम्ब का पेड़, आकाश कुसुम बसंत तुम बसन्त तुम फिर खिल उठे, सावनी बादल भाग्य की डोर से बंधा किसान, डेकड का जोड़ा भूकम्प पलाश तुम खिलते रहना, सपेरे। आदि भी महत्वपूर्ण रचनाएँ लगी।
आध्यात्म धर्म से जुड़ी उनकी रचनाओं में महान समाज सुधारक संत शिरोमणि सेन जी के जीवनी से रूबरू करवाने में सक्षम है। पीपा जी की अमर कहानी जलदुर्ग गागरोन से जुड़ी है। सेन जी ने पीपा जी के जन्म से लेकर पूरी कहानी को काव्यबद्ध की है। चैत्र माह की पूर्णिमा को जन्मोत्सव मनाया जाता है। कृष्णभक्त कवयित्री मीराबाई जो राजसी वैभव छोड़कर कॄष्ण भक्ति में लीन हो गई जिनका नाम पूरे देश मे जाना जाता है। लेखक ने उनकी संघर्ष पूर्ण जीवन गाथा परोसी है।
मन पंछी कविता में सेन लिखते है मन की गति वायु से भी तेज होती है। “हरि का करे गुणगान कभी। कभी भवसागर में रम जाये।।”
जटायु का मोक्ष में कैसे गिद्धराज जटायु ने लंका के राजा रावण से माता सीता की रक्षा की उसका वर्णन काव्य में लिखा है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी रचना में सोलह कला के अवतार श्री कृष्ण के जन्म की कथा का वर्णन है।
कंस के कारागार में क्या क्या चमत्कार हुए सभी का सुन्दर वर्णन है।
शबरी के बेर के छन्द बहुत अच्छे लगे।
मोहन की मुरली गीत में सेन लिखते हैं “मनमोहन मुग्ध हो जब मुरली मधुर बजाये रे। नर नारी की तो बात कहाँ, जड़ चेतन भी नचाये रे।।” कृष्ण भक्ति में लीन कर देती है।
कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित विभूषित अलंकृत सेन साहब की कोमल किसलय कृति साहित्य जगत में अपनी पहचान बनाएं ऐसी आत्मिक शुभकामना देता हूँ। बधाई स्वीकारें……।

.

लेखक परिचय :- राजेश कुमार शर्मा “पुरोहित” भवानीमंडी जिला झालावाड़ राजस्थान


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *