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त्यौहारों को विराम

संजय जैन
मुंबई

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दो महीनों के लिए अब,
बंद हुए धार्मिक त्यौहार।
नये साल से फिर आएंगे,
हिंदुओ के त्यौहार।
तब तक मौज मस्ती,
तुम सब कर लो।
हम भी करते है आराम।
क्योंकि प्रकृति ने दिया है,
मौका हम सब को इसका।।

कितना धर्म कर्म किया है
खुद करो,
अब अपना मूल्यांकन।
क्या खोया और क्या पाया है,
खुद ही जान लो इन दिनों में।
सच्ची श्रध्दा और भक्ति का,
फल हर किसी को मिलता है।
क्योंकि भगवान भक्तों पर,
दया करुणा भाव रखते है।।

अहंकारियों का नाश सदा,
स्वंय मनुष्य ही करता है।
और दोष विपत्तियों का,
वो भगवान पर मढ़ता है।
किया नही दान धर्म और
फिर भी पाने की चाहात रखता है।
अब तुम ही बतलाओ लोगो,
क्या बिना कर्म किये कुछ मिलता है?

इसलिए ज्ञानी कहते है,
श्रध्दा भाव रखो मन मे।
फल की चिंता छोड़ कर,
गुण गान प्रभु का किया करो।।

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लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।


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