Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

भूलाकर गाँव

वीणा वैष्णव
कांकरोली

********************

भूलाकर गाँव को तूने, शहर में घर बनाया है।
खो गया रंगीनियों में, अपनों को बिसराया है।।

गाँव के लोग भोले, दिल में प्यार बसता है।
उनकी हर बात में सिर्फ, अपनत्व बरसता है।।

शहर की जिंदगी, चारदीवारी में रहता है।
अपनों बीच सदा, वह अकेला होता है ।।

गांव के लोग सुख-दुख में, पास होते हैं ।
गांव एक आवाज में, चौपाल पर होता है।।

पैसा तूने शहर में, रह बहुत कमाया है।
अपनों बीच, तू सदा ही रहा पराया है।।

हर बात गाँव के लोग, अपनों को बताते हैं।
आए जब विपदा तो, मिल बैठ निपटाते हैं।।

अकेला तू रोता, नहीं कोई ढ़ाढस बंधाता है।
शहर लोग सिर्फ, दिखावटी प्यार जताते हैं।।

लौट आ अब भी, तेरी हम राह तकते हैं।
भूला सारे गिले-शिकवे, तुझे गले लगाते हैं।।

तेरे आने से पुराने दिन, फिर लौट आते हैं।
गाँव गलियों में, फिर हम धूम मचाते हैं।।

एक बार बचपन को, हम फिर जीते हैं।
गाँव जीवन जीवन है, सबको दिखाते हैं।।

बच्चों को जिंदगी, जीने का हुनर बताते हैं।
खुशियां पानी है कैसे, यही राज समझाते है।।

गाँव की संस्कृति से, जिंदगी जन्नत बनाते हैं।
पुरखों की सौगात को, सहेजना सिखाते हैं।।

जिंदगी का सही आनंद, देख गाँव में पाते हैं।
खेतों में तुझे पक्षियों का, कलरव सुनाते हैं ।।

जिंदगी बहुत छोटी क्यों, गैर बर्बाद करते हैं।
अपनों के बीच, सुकून कुछ पल बिताते है।।

.

परिचय : कांकरोली निवासी वीणा वैष्णव वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय फरारा में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। कवितायें लिखने में आपकी गहन रूचि है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻 hindi rakshak manch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *