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फिर ये नजर हो न हो

रूपेश कुमार
(चैनपुर बिहार)

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फिर ये नजर हो न हो,
मै और मेरी तनहाई,
नजर आएगी,
तुम तेरा मुस्कुराता,
चेहरा यू खिलखिलाता,
नाम तेरा पूजते रहूं,
फिर ये नजर हो न हो!

जिंदगी की खेल में,
फूलों के मेल में,
कलियों के साथ,
गुलाबो के हाथ,
तू मुझे सम्मान दो,
या मुझे उफान दो,
मै मिलेगा फिर तुमसे,
फिर ये नजर हो न हो!

रात की बात में,
दिन की याद में,
दोस्तो के साथ में,
हसीनाओं के हाथ में,
आंख की आशुओ में,
दिल की धड़कन में,
याद आ जाए तुम,
फिर ये नजर हो न हो!

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लेखक परिचय :- 
नाम – रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार
शिक्षा – स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी !
निवास – चैनपुर, सीवान बिहार
सचिव – राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान
प्रकाशित पुस्तक – मेरी कलम रो रही है
कुछ सहित्यिक संस्थान से सम्मान प्राप्त !


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