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ईश का आशीष

अंजना झा
फरीदाबाद हरियाणा

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जीवन की अविरल धारा में
चाहिए यदि ईश का आशीष

क्यों आडंबरपूर्ण विधान में
आस्था औ पूजा के नाम पर
श्रद्धाहीन विचारों के जाल में
जकड़ देते हो अपने आप को

मन के अवसाद को दूर करने
की अतृप्त इच्छा मे बंधकर
लटका देते हो न मूल प्रकृति
औ मौलिक चेतना को सूली पर।

अंतस्थ की जागृति औ ताजगी
हेतु करते हो न बुनियादी भूल
क्यों चढा देते हो इक आवरण
धर्म आस्था व्रत औ परंपरा का।

मंत्रोच्चार से करना है अगर
स्वयं को स्वच्छ और पवित्र
तो भीगो न इस संकल्प से
जो भर दे सकारात्मक ऊर्जा।

चाहते हो मूल्यवादी जीवन
दमित कर दो आसुरी प्रवृति
जागृत करो न दैवीय संस्कार
ध्यानस्थ हो जाओ क्षमा भाव में

फिर नहीं घिरोगे आडंबर से
प्रवाहित होगी न अंतर्मन में
सतत ही सकारात्मक उर्जा
हो जायेगा सार्थक मंत्र स्नान।

जीवन के अविरल धारा में
मिलेगा तभी ईश का आशीष।

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परिचय :-  नाम : अंजना झा
माता : श्रीमती फूल झा
पिता : डाक्टर बद्री नारायण झा
जन्म तिथि : ६ अगस्त १९६९
जन्म स्थान : पटना
अंजना झा मूलतः बिहार की निवासी हैं। आपने मनोविज्ञान में एम.ए. किया है। पूर्व में आर्मी पब्लिक स्कूल में शिक्षिका रही हैं। आप कुछ समय आनलाइन पत्रिका साहित्य लाइव में संपादिका पद पर भी रह चुकी हैं। आपकी रुचि लघुकथा और काव्य लेखन में है। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच
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