Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

चेहरा

रुचिता नीमा
इंदौर म.प्र.

********************

बहुत मुश्किल है रुचि…
इस दुनिया को समझना…
कि लोग …..

मन मे कुछ …
और जुबा पर कुछ और रखते है…
लोग अपने अंदर ही अनेक किरदार बसा रखते है

खुद क्या है,
ये कभी जान ही नहीं पाते
और दूसरों को समझने के दावे हजार करते है

जिस तरह लगा रखे है चेहरे पर चेहरे…
असली को जानने के भी आईने हजार लगते है…

देखते है जब वो
खुद की सूरत को आईने में…
हर बार सीरत के मायने हजार निकलते है…

बहुत मुश्किल है रुचि…
इस दुनिया को समझना
कि एक इंसान से ही हजार निकलते है…

बेहतरी यही है कि छोड़ दु मैं
अब इस दुनिया को समझना…
और जो जैसा है उसे वैसे ही कबूल करना।…

पर उसके भी पहले जरूरी है यही कि
खुद को ढूंढकर, खुद को समझना…

.

लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak mnch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *