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नारी

बृजेश आनन्द राय
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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उम्र बढ़ती है तो क्या,
बढ़ जाने दो!
आयु घटती है तो क्या,
घट जाने दो!
‘काया’, कुछ
ढलती है तो क्या,
ढल जाने दो!
पर तुम न अपनी
‘मन की मुग्धा’ को मारो,
न माया, ममता,
मोह को बिसारो;
न डकने दो कैशोर्या
की ड्योढ़ी कभी भी
‘उसे’, फूल की डाली
बीच से सदा निहारो!
तन-मन का करो
नित-श्रृंगार अपने…
अपने ‘प्रिय’ को
कभी दूर से…
कभी-कभी पास से
अक्सर पुकारो!
महकती रहो
बहारों सी सदा…
इक फूल की मुस्कान
सदा होठों पे धारो!
न सोचो मान
करने को आजीवन,
सदा बोल में
संयम-सम्हालो!
न सूखें ‘आँख के आँसू’
कभी उसके लिए …
ये मोती हैं तेरे अनमोल
सदा उसके लिए…
करो स्वागत
सदा पलकों से-
वन्दनवार सजाओ!!

परिचय :-  बृजेश आनन्द राय
निवासी : जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र.द्वारा शिक्षा शिरोमणि सम्मान २०२३ से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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