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विष्णु, शंकर सनातन में

डॉ. किरन अवस्थी
मिनियापोलिसम (अमेरिका)

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ऋग्वेद के अथर्वशीर्ष ने,
पद्म पुराण, वाल्मीकि रामायण में
आदित्यहृदयस्तोत्र ने
सूर्य को विष्णु माना
विष्णु का अर्थ ‘सर्वव्यापी‘
सूर्य है सर्वव्यापी
ऊर्जा संपूर्ण ब्रह्मांड की
रवि रश्मि है दात्री
उससे प्रस्फुटित होती प्रकृति
प्राणवायु की दाता प्रकृति।
प्रकृति के मूल में
सूर्य रूप में विष्णु विराजे
कण-कण पर रवि की माया
सहस्त्रनाम विष्णु ने पाया
स्वयंभू विष्णु देते सबको आकार
लेते स्वयं मनुज रूप में अवतार
करने पृथ्वी और सज्जन का उद्धार।।
शंकर शमन के कारक
मूल स्थान उनका पर्वत,
हिम का अंचल है सुखदायक
जल का स्रोत, वहीं से गंगा
शीतलता औ शांतिप्रदायक
हिमगिरि कोशंकर माना
गिरि और जल है कल्याणक
इसीलिये शंकर को शिव माना
सूर्य देव को विष्णु जाना।।
एक‌ परमशक्ति का यही वितान
ताप व शीतलता के‌ घट
विष्णु और शंकर हैं दो नाम
सनातन संस्कृति के यही प्रमाण
जिसका करते हैं सम्मान
मूर्ति चित्र बनाकर, तिलक लगाकर
पूजा करते, देते उनको मान।
स्वर्गलोक गमन पर सम्मानस्वरूप
पूर्वजों का रखते मान श्राद्धस्वरूप।
है सरल सनातन संस्कृति
जग ने जो भी विद्या दी
और कलाएँ विकसित कीं
प्रकृति ने जो भी शक्ति दी
नाम दिये देवताऔर देवी
भाव भरे मन से पूजा की।
बहुत सरल सिद्धांत सनातन का।
बहुत सरल सिद्धांत सनातन का।

परिचय :- डॉ. किरन अवस्थी
सम्प्रति : सेवा निवृत्त लेक्चरर
निवासी : सिलिकॉन सिटी इंदौर (मध्य प्रदेश)
वर्तमान निवासी : मिनियापोलिस, (अमेरिका)
शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी, एम.ए. भाषाविज्ञान, पी.एच.डी. भाषाविज्ञान
सर्टिफिकेट कोर्स : फ़्रेंच व गुजराती।
पुनः मैं अपने देश को बहुत प्यार करती हूं तथा प्रायः देश भक्ति की कविताएं लिखती हूं जो कि समय की‌ मांग भी‌ है। आजकल देशभक्ति लुप्तप्राय हो गई है। इसके पुनर्जागरण के लिए प्रयत्नशील हूं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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1 Comment

  • श्रीकांत अवस्थी

    डाक्टर किरन अवस्थी द्वारा लिखित अनादि, अनंत, नश्वर, निराकार एवं साकार बृम्ह का यह विवरण अति सुन्दर है। प्रकृति ईश्वर का ही एक स्वरूप है – इसी सत्य का विवरण किया गया है ।।

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