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खुद बुलंद कर हौसला

राधेश्याम गोयल “श्याम”
कोदरिया महू (म.प्र.)

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दुरियो को दूर कर दिल से मिटाले फासला,
न घबरा गम की आंधियों से खुद बुलंद कर हौसला।

दौर तो आते रहेंगे और टल भी जायेंगे,
शोर तो होते रहेंगे जलजले जल जाएंगे।
आज हिम्मत से तु अपनी फिर बनाले घोंसला……

चह चहा हट जो हुई है फिर से वो आजाएगी,
चमन में पतझड़ भी होगा, फिर बहार आएगी।
माली को मत दोष दे तू खुद ही करले फैसला……..

वक्रता पहले भी समय की ऐसी ही देखी गई,
मिटती इंसानों की बस्ती आबाद फिर से हो गई।
घाव भर जाते समय से, गर हो मन में हौसला……..

ये समय भी आया हे तो कुछ तो देकर जाएगा,
दानवता को मानवता का पाठ भी पढ़ाएगा।
सकारात्मक सोच रख तु मन में अपने जोशला……..

धैर्य, धर्म को त्याग कर, धारणी रहा खंगाल,
पाकर वेदों की पूंजी भी अब तक रहा कंगाल।
समय तुम्हारे हाथ हे मानव, अब भी करले फैसला……
न घबरा गम की आंधियों से खुद बुलंद कर हौसला।

परिचय : राधेश्याम गोयल “श्याम”
निवासी – कोदरिया महू (म.प्र.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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