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जीवनद्वंद

मालती खलतकर
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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जीवन पल… पल,
जीवन…क्षण-क्षण
जीवन मे जीवन की हलचल
जब किलकारी गूजे आगन मे
सुख पाया मा के आचल ने।
काजल का टीका लगाकर
मुस्कूराता जीवन
पल भर मे बाबा को
सम्मोहित करता
पग मे पैंजनियां पहने
ढगमग, डगमग
चलता जीवन।
तुतलाती भाषा मे बोले
केवल समझे,
जाने मा का जीवन
सरस्वती के अंक मे बैठ
संस्कार, संस्कृति का
पाठ पढता जीवन।
नई राह, नया उद्देश्य,
दृढता जीवन की
भरता उडान सोपानो
पर जीवन की

पग-पग सीढी
पल-पल संधान
यह कहानी जीवन की।
उदेश्यो मे सफल हुआ जीवन
सात बन्धनो मे बन्ध गया
कर्तव्य मे ऐसा, जकडा जीवन
उसे लगा सब कुछ आनन्द
एक क्षण गौरय्या
सा उडता जीवन।
और फिर
और सोपानों पर चढते-चढते
निढाल हो गया जीवन
कुछ अंतराल मे लाठी
पर आया जीवन
दृष्टि, गति, कर्ण साथ
छोडते जीवन का
और … और एक दिन
अन्तिम यात्र पर जीवन
क्या ये सच नही है
जीवन का पथ
बताए कोई।

परिचय :- इंदौर निवासी मालती खलतकर आयु ६८ वर्ष है आपने हिंदी समाजशास्श्र में एम ए एल एलबी किया है आप हिंदी में कविता कहानी लेख गजल आदि लिखती हैं व आपकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मैं प्रकाशित होते हैं आप सन १९६८ से इंदौर के लेखक संघ रचना संघ से जुड़ी आप शासकीय सेवा से निमृत हैं पीछेले ३० वर्षों से धार के कवियों के साथ शिरकत करती रही आकाशवाणी इंदौर से भी रचनाएं प्रसारित होती रहती हैं आप राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “हिंदी रक्षक राष्ट्रीय सम्मान २०२३” से सम्मानित व वर्तमान में राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर एवं लेखिका संघ से जुड़ी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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