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अमौसा का मेला और प्रयागराज

बृजेश आनन्द राय
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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एक बार स्वर्गीय कैलाश गौतम ने मुझे प्रयागराज के आकाशवाणी के युववाणी कार्यक्रम में काव्य पाठ के लिए बुलाया था‌। मात्र एक बार जाने के उपरान्त पुनः मैं नहीं गया, क्योंकि मुझे लगता था कि सरकारी नौकरी पाने के लिए आवश्यक है कि छोटा से छोटा समय बचाकर पढ़ना..! कारण यह भी कि मुझे घर से मात्र तीन वर्ष का अवसर मिला था प्रयागराज में जाकर अध्ययन करने के लिए। उन तीन वर्षों में मैंने नौकरी तो पा ली पर बहुत अमूल्य… सुख शान्ति और भी बहुत कुछ खो दिया। जो मेरे सदा दुर्भाग्यपूर्ण जीवन का बहुत बड़ा भाग बनकर रह गया..। और हाँ उन तीन वर्षों के पहले तो माघ मेला में एक बार मित्र उमेश चौबे जी के साथ अवश्य गया था, लेकिन वह बी एड के बीच में ही। पर जब पढ़ाई के उद्देश्य से रुका तब से जब तक एक रिजल्ट पाजिटिव नहीं हो गया तब तक पुराना कटरा से संगम के बीच माघ में बराबर दूरी बनी रही। कभी-कभी बस ट्रेन से टेंट प्रदेश और उसकी लाइटिंग दिख गया हो तो उसकी बात मैं नहीं करता। और जब शिक्षक की नौकरी पाया तो जब भी पढ़ाने से छुट्टी मिलती प्रयागराज भाग निकलता केवल कटरा, यूनिवर्सिटी, एलन गंज, संगम, खुसरो बाग, नदियों के किनारे के मन्दिर, सिविल लाइंस हनुमान मंदिर, आलोपी मन्दिर, राम बाग, साहित्य सम्मेलन, संगीत समिति और चन्द्र शेखर आजाद पार्क तथा फिल्म देखने के लिए। सम्पूर्ण प्रयागराज मेरे लिए महान तीर्थ होकर रहा..।
आज कैलाश गौतम जी की बहुचर्चित कविता अमौसा का मेला जो उनके द्वारा लगभग ३०-३५ वर्ष पूर्व लिखी गई थी विगत वर्षों की भाँति कुंभ के अवसर पर रन कर रही है। उनकी लिखी यह कविता साकेत पी जी. कालेज में बी. एड. कक्षा में प्रशिक्षण के समय मेरे प्रशिक्षु अध्यापक मित्र संजय सिंह भी सशक्त टोन से सुनाया करते थे जैसे कैलाश गौतम की ही आवाज हो। २५ वर्ष हो गए पता नहीं वह मित्र कहांँ पर नौकरी कर रहे होंगे। पर कैलाश गौतम जी की यह अवधी कविता सुनते हुए मुझे उन बी एड के क्लासों की कभी, कभी प्रयाग संगम की बरबस याद आती है..।

परिचय :-  बृजेश आनन्द राय
निवासी : जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र.द्वारा शिक्षा शिरोमणि सम्मान २०२३ से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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