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जानवर हमसे बात करते हैं

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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हर एक जीव
हमसे बात करते हैं
उनके मासूमियत
से भरे चेहरे
हमसे बात करते हैं,
उनकी अठखेलियाँ,
उनका भोलापन
हमसे रुबरू होते हैं
नहीं समझ पाता
जो कोई उनकी पीड़ा,
उनकी वेदना
उसकी सिसकी भरी आंहे
वो सब तकलीफें
हमसे बाटना चाहते हैं,!
उनको नहीं समझ आता
इंसानी भेष का मुखौटा
इंसानी आक्रोश,
इंसानी आतंक
उनके भयभीत चेहरे
हमसे बात करते हैं ,
जो सह पाऊँ उनकी
पीड़ा की तपिश
वही मेरे यज्ञ की
आहुति होगी
पूजा, हवन, अराधना
तभी मेरी पूरी होगी!!
नहीं पहनना चाहती
आधुनिकता भरी,
भारी भरकम पोशाक
जिसमें इन्सानियत,
मानवता दम तोड़ने लगे,
उनका निश्चल प्रेम,
उनका निःस्वार्थ अपनापन
मुझे इंसानी पाठ पढ़ाते हैं,
जीवों के हर रूप मे बसे ईश्वर …
हमसे बात करते हैं!!

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., एम.फिल – समाजशास्त्र, पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर द्वारा “जीवदया अंतर्राष्ट्रीय सम्मान २०२४” से सम्मानित
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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